केजीएमयू की प्रो.शीतल वर्मा ने एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल को लेकर किया आगाह, कहा-अंधाधुंध प्रयोग से बैक्टीरिया संक्रमण पर हो रही बेअसर

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लखनऊ । एंटीबायोटिक दवाओं का असर लगातार कम हो रहा है। बताया जा रहा है कि बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण पर एंटीबायोटिक दवाओं का असर न होने से साल 2019 में करीब 12 लाख लोगों की मौत हो गयी थी। पूरी दुनिया में जितने लोगों की मौत एंटीबायोटिक दवाओं के बेअसर होने से हुई …

लखनऊ । एंटीबायोटिक दवाओं का असर लगातार कम हो रहा है। बताया जा रहा है कि बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण पर एंटीबायोटिक दवाओं का असर न होने से साल 2019 में करीब 12 लाख लोगों की मौत हो गयी थी। पूरी दुनिया में जितने लोगों की मौत एंटीबायोटिक दवाओं के बेअसर होने से हुई हैं, वह हर वर्ष एड्स व मलेरिया से होने वाली मौतों से बहुत ज्यादा है। और यह सबकुछ हो रहा है एंटीबायोटिक दवाओं के गलत प्रयोग से । बिना जांचे परखे लोग दवाओं का सेवन कर रहे हैं,सबसे बुरी स्थिति विकासशील व बिकसित देशों की है।

केजीएमयू की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.शीतल वर्मा के मुताबिक हमारे देश में यह आंकड़े और भी डरावने हो सकते हैं। क्योंकि बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण के बाद एंटीबायोटिक दवाओं के बेअसर होने पर होने वाले मौतों के आंकड़े मौजूद नहीं हैं। उन्होंने बताया कि एंटीबायोटिक का बैक्टीरिया पर असर कम हो रहा है,इसके आंकड़े मौजूद हैं।

केजीएमयू की एसेसिएट प्रोफेसर डॉ. शीतल वर्मा ने बताया कि बैक्टीरिया से हुए संक्रमण पर दवाओं के बेअसर होने को एंटी माइक्रोबियल रेसिस्टेन्स यानी की एएमआर नाम दिया गया है, यह स्थिति तब उतपन्न होती है जब बैक्टीरिया, पर कवक तथा परजीवी समय के साथ अपना स्वरूप बदल लेते हैं और उनपर दवायें बेअसर होने लगती हैं, इससे संक्रमण होने पर उसका इलाज करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

उन्होंने बताया कि कम्युनिटी संक्रमण से लेकर अस्पताल में होने वाला संक्रमण तक ड्रग रेसिस्टेन्स देखा जा रहा हैं। पहले जिन बीमारियों में लोग कॉमन एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक हो जाते थे। वह काफी रेसिस्टेन्स हो रही है। इसके कारण बहुत सारे और अलग-अलग है। लेकिन प्रमुख कारणों में हम यह कह सकते हैं कि बहुत से लोग दवायें अपनी मर्जी से खरीद कर खाते हैं, कुछ लोग दवा का पूरा कोर्स नहीं करते हैं। जिसकी वजह से बैक्टीरिया में इस रेसिस्टेन्स बहुत बढ़ गया है।

उन्होंने बताया कि समाज में एंटीबायोटिक को लेकर जागरुकता काफी कम है। कई बार लोग सामान्य बीमारियों जैसे सर्दी खांसी व डायरिया में जमकर एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सकों के सलाह पर ही दवा लेनी चाहिए। सामान्य रूप से होने वाल शारीरिक समस्याओं में अंधाधुंध एंटीबायोटिक के प्रयोग के चलते बैक्टीरिया म्यूटेट हो रहे हैं। यानी की वह अपना स्वरूप बदल रहे हैं।

उन्होंने बताया कि एंटीबायोटिक दवायें बैक्टीरिया संक्रमण पर बेअसर हो रही हैं,इससे साल 2019 में पूरी दुनिया में कितनी मौतें हुई,उसकों लेकर एक रिपोर्ट भी कई महीने पहले जारी हो चुकी है। उन्होंने बताया कि स्थिति भयावह इसलिए होती जा रही है कि यहां पर दवाइयां आसानी से मिल जाती हैं।

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