कानपुर: संक्रामक बीमारियां निकाल रही दम, अस्पतालों में बेड पड़ गए कम
कानपुर। हैलट अस्पताल में 24 घंटे के अंदर ही मरीजों के लिए खोले गए नए वार्ड फुल हो गए हैं। यहां डायरिया, वायरल के साथ ही लिवर, किडनी खराब होने के मामलों में मरीजों का इलाज चल रहा है। अब अस्पताल प्रशासन रोगियों को भर्ती करने के लिए अन्य वार्ड की तलाश कर रहा है। …
कानपुर। हैलट अस्पताल में 24 घंटे के अंदर ही मरीजों के लिए खोले गए नए वार्ड फुल हो गए हैं। यहां डायरिया, वायरल के साथ ही लिवर, किडनी खराब होने के मामलों में मरीजों का इलाज चल रहा है। अब अस्पताल प्रशासन रोगियों को भर्ती करने के लिए अन्य वार्ड की तलाश कर रहा है। नेत्र रोग के वार्ड नंबर 9 और 10 पहले ही लिया जा चुका है। अब सर्जरी के अन्य वार्ड लेने के लिए विचार विमर्श चल रहा है।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की उप प्रचार्य प्रो. रिचा गिरी ने बताया कि डायरिया, वायरल, गैस्ट्रो के काफी मरीज आ रहे हैं। पीलिया, सेप्टिसिमिया, गुर्दा संक्रमण के रोगी भी आ रहे हैं। मेडिसिन के वार्ड पहले ही भर चुके थे। एक बेड पर दो-दो मरीजों को भर्ती करने की नौबत आ रही थी।
इसके बाद नेत्र रोग विभाग के बेड लिए गए। वहां भी जगह भर गई है। शुक्रवार को सर्जरी के दो वार्ड में मरीजों को लिया गया, जिसमें जगह बची नहीं है। मेडिसिन विभाग के प्रो. एसके गौतम ने बताया कि शनिवार को 88 नए मरीज भर्ती हुए हैं। काफी संख्या में रोगियों का इमरजेंसी में इलाज चल रहा है।
गंभीर रोगियों की संख्या ज्यादा
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज संबद्ध हैलट अस्पताल, बाल रोग चिकित्सालय, मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल में कानपुर समेत कई जनपदों के गंभीर मरीज आ रहे हैं। उन्हें वहां के जिला अस्पतालों से रेफर किया जा रहा है। ऐसे मरीजों की हालत काफी खराब है। उनमें वायरल, डायरिया, लिवर खराब होने की समस्या थी, जिसका समय से इलाज न कराने से स्थिति गंभीर हो गई है। मरीजों के लिए दूसरे विभागों के बेड मुहैया कराए जा रहे हैं।
उर्सला के वार्ड में जगह नहीं
उर्सला अस्पताल के वार्ड में भी जगह नहीं बची है। डॉक्टर संक्रामक रोगों की समस्या से भर्ती हुए लोगों को वार्ड के बगल में गैलरी में भर्ती कर रहे हैं। यह गैलरी भी इनडोर विभाग में ही आती है। सीएमएस डॉ. अनिल निगम ने बताया कि मरीजों के लिए जो भी संसाधन उपलब्ध हैं, उनसे व्यवस्था की जा रही है।
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