कानपुर: एक तिहाई आबादी पेट की रोगी, गुर्दे के बीमार लाखों में, पढ़ें क्या बोले डॉक्टर

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कानपुर, अमृत विचार। पिछले कुछ वर्षों में गैस, खट्टी डकार, कब्ज, बदहजमी, पेट में दर्द, संक्रमण, लिवर में सूजन समेत पेट की अन्य दिक्कतें बढ़ गई हैं। शहर की एक तिहाई से अधिक आबादी इन समस्याओं से परेशान है। यही स्थिति गुर्दा रोगियों की भी है, जहां लाखों लोग गुर्दे का संक्रमण, पथरी, पेशाब में …

कानपुर, अमृत विचार। पिछले कुछ वर्षों में गैस, खट्टी डकार, कब्ज, बदहजमी, पेट में दर्द, संक्रमण, लिवर में सूजन समेत पेट की अन्य दिक्कतें बढ़ गई हैं। शहर की एक तिहाई से अधिक आबादी इन समस्याओं से परेशान है। यही स्थिति गुर्दा रोगियों की भी है, जहां लाखों लोग गुर्दे का संक्रमण, पथरी, पेशाब में जलन, गुर्दे सही तरह से काम न करने की दिक्कतें झेल रहे हैं। इसके पीछे अनियमित दिनचर्या, बाहर का खानपान, नशा, मोटापा, नशा, मधुमेह कारण है, लेकिन दूषित जल और यूरेनियम से युक्त पानी का सेवन भी बड़ी वजह हो सकती है। हैलट, उर्सला, कांशीराम संयुक्त चिकित्सालय समेत शहर के कई नर्सिंगहोम और क्लीनिक में पेट के रोगियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।

हर तीसरा व्यक्ति पेट का मरीज
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रो. एसके गौतम ने बताया कि शहर का हर तीसरा व्यक्ति पेट का रोगी है। वह अस्पताल तभी पहुंचते हैं, जब दिक्कतें बढ़ जाती है। हर ओपीडी में सबसे ज्यादा पेट के रोगी आ रहे हैं। पानी में हैवीमैटल्स मिला हुआ है तो उसका शरीर पर असर बहुत ज्यादा पड़ेगा। यूरेनियम की वजह से पेट में दिक्कतें हो रही है, इसका कोई विशेष मरीज नहीं आया है। हालांकि यूरेनियम न सिर्फ पेट बल्कि अन्य हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकता है।

रोगियों में कुछ ही हालत गंभीर
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की उप प्राचार्य प्रो. रिचा गिरी ने बताया कि पीलिया, लिवर में सूजन, डायरिया, आंतों के कैंसर के मामलों में मरीज भर्ती हैं। कुछ ही हालत बहुत गंभीर है। यह समस्या सभी आयु वर्ग के लोगों में है। ज्यादातर बासी खाना, शराब के सेवन, बिगड़ी हुई जीवनशैली की वजह से परेशान हैं।इसी तरह गुर्दे के संक्रमण, सही तरह से कार्य न करना और पेशाब से खून आने की समस्या पर मरीजों का इलाज चल रहा है। पथरी के रोगियों को सर्जरी विभाग में रेफर कर दिया जाता है।

पथरी और संक्रमण की दिक्कतें बढ़ी
गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ. वीके मिश्रा के मुताबिक गुर्दा रोगियों की संख्या में पिछले कई वर्षों में इजाफा हुआ है। अब 12 से 16 साल के किशोर में पथरी की समस्या मिल रही है। मोटापे के चलते भी कई मरीज गुर्दा रोग की चपेट में आ गए हैं। मधुमेह के रोगियों में गुर्दे की समस्या बढ़ गई है। यूरेनियम के असर से गुर्दे बुरी तरह से प्रभावित हो सकते हैं। अगर रेडियो एक्टिव हुआ तो काम करना ही बंद कर देंगे। गुर्दों में संक्रमण की समस्या अधिक मिल रही है। इस पर ध्यान न देने से मरीज डायलिसिस तक पहुंच जा रहे हैं।

जांच में आसानी से पता नहीं चलता
गैस्ट्रसे विशेषज्ञ डॉ.विनय कुमार के मुताबिक हैवी मैटल्स की वजह से पेट में होने वाले नुकसान का आसानी से पता नहीं चलता है। कई तरह के टेस्ट कराए जाते हैं। लिड के कई रोगी आए, जिनके पेट में दर्द रहता था। अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई की जांच कराई गई तो कुछ नहीं निकला। प्राइवेट लैब से विशेष तरह की जांच कराई गई तो समस्या पता चली। यूरेनियम भी हैवी मैटल्स में आता है। यह पेट की नसों को नुकसान पहुंचा सकता है। इनका शरीर के अन्य हिस्सों से सीधा संपर्क रहता है।

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