आयुष्मान योजना के लाभार्थियों की बढ़ी मुश्किलें, गर्भवती महिलाओं को निजी अस्पतालों में ऑपरेशन के देने होंगे पैसे
मुरादाबाद,अमृत विचार। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की लाभार्थी गर्भवती महिलाओं को अब झटका लगेगा। योजना के तहत निजी अस्पताल में ऑपरेशन से प्रसव बंद करने का आदेश दिया गया है। इसके बाद यदि किसी लाभार्थी का निजी अस्पताल में ऑपरेशन से प्रसव होता है तो उसे इसके लिए रुपये खर्च करने पड़ेंगे। अस्पताल …
मुरादाबाद,अमृत विचार। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की लाभार्थी गर्भवती महिलाओं को अब झटका लगेगा। योजना के तहत निजी अस्पताल में ऑपरेशन से प्रसव बंद करने का आदेश दिया गया है। इसके बाद यदि किसी लाभार्थी का निजी अस्पताल में ऑपरेशन से प्रसव होता है तो उसे इसके लिए रुपये खर्च करने पड़ेंगे। अस्पताल के बिल का भुगतान योजना से नहीं होगा।
स्टेट एजेंसी फॉर कांप्रीहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विस के महाप्रबंधक डॉ. बीके पाठक ने इस संबंध में आदेश जारी कर इसका अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कहा है। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत पहले लाभार्थी या गोल्डनकार्ड में शामिल उसके परिवार की महिला का यदि पैनल में शामिल निजी अस्पताल में प्रसव कराया जाता है तो उसे पहले की तरह मुफ्त इलाज नहीं मिलेगा। अब इसके लिए जेब से खर्च करना होगा। अस्पताल को भी ऐसी सेवा देने के लिए मना कर दिया गया है। निजी अस्पताल में इस तरह के इलाज के बाद भेजे गए बिल की प्रतिपूर्ति योजना के माध्यम से नहीं हो सकेगी।
योजना के जिला समन्वयक डॉ. पीताम्बर सिंह का कहना है कि आयुष्मान योजना के कार्ड के माध्यम से कई लोग मनमाने तरीके से निजी अस्पतालों में जाकर इलाज कराते थे, जबकि योजना के तहत सरकारी अस्पताल में सुविधा उपलब्ध है। इसको रोकने के लिए पहले निजी अस्पतालों में सामान्य प्रसव के साथ ही हाईरिस्क प्रेगनेंसी वाली डिलीवरी पहले से बंद थी। अब ऑपरेशन के जरिए प्रसव कराने की भी मनाही कर दी गई है। निजी अस्पतालों को ऐसे मरीजों को सरकारी अस्पताल भेजना होगा। साथ ही सब प्रबंध व चिकित्सक के होने के बाद भी महिला या अन्य किसी अस्पताल से ऐसी प्रसूताओं को निजी अस्पताल में रेफर नहीं किया जाएगा। इसके तहत होने वाले ऑपरेशन का खर्च का भुगतान स्वयं करना होगा।
शासन का सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने पर है जोर
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में जो सुविधा सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है, इसके लिए न तो चिकित्सक रेफर करेंगे और न पैनल में शामिल अस्पताल अपने मन से किसी मरीज का मनमाना इलाज कर बिल नहीं भुगतान करा पाएंगे। इसका मकसद सरकारी चिकित्सा सेवा को प्राथमिकता देना है। सरकारी चिकित्सकों को भी अपने फर्ज से बचने से रोकना सरकार की मंशा है।
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