नवरात्रि 2022: इस मंदिर में साड़ी और लहंगे में गरबा खेलते हैं पुरुष, जानें वजह

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Sharadiya Navratri 2022: शारदीय नवरात्र शुरू हो चुका है। देशभर में नवरात्रि (Navratri 2022) का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार को लेकर मंदिरों और बाजारों में खूब रौनक देखने को मिल रही है। नवरात्रि के त्योहार का गुजरात में विशेष महत्व है। ये भी पढ़ें- खराब ATM ने एक झटके में …

Sharadiya Navratri 2022: शारदीय नवरात्र शुरू हो चुका है। देशभर में नवरात्रि (Navratri 2022) का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार को लेकर मंदिरों और बाजारों में खूब रौनक देखने को मिल रही है। नवरात्रि के त्योहार का गुजरात में विशेष महत्व है।

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नवरात्रि में डांडिया और गरबा
जहां लोग नवरात्रि में डांडिया और गरबा खेलते हैं। वैसे तो आपने अब तक महिलाओं और लड़कियों को डांडिया-गरबा खेलते हुए देखा होगा, लेकिन गुजरात में एक ऐसी भी जगह है जहां सिर्फ पुरुष गरबा खेलते हैं। इस जगह पर पुरुष दुपट्टा पहनकर गरबा खेलते हैं। जी हां, यह जानकर आप भी चौंक गए होंगे। आज हम आपको इसी जगह के बारे में जानकारी शेयर करेंगे।

खबरों के अनुसार गुजरात के वडोदरा में स्थित अंबा माता मंदिर में नवरात्रि के अवसर पर अलग ही धूम देखने को मिलेगी। बता दें कि अंबाजी माता मंदिर प्राचीन और प्रमुख धार्मिक स्थलों में जाना जाता है। ये मंदिर मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में शामिल है। यहां पुरुष गरबा खेलने की सदियों पुरानी परंपरा को निभा रहे हैं।

खास बात ये है कि यहां पुरुष साड़ी और लहंगा पहनकर गरबा खेलते हैं। वहीं, कुछ महिलाएं झरोखे में बैठे हुए गाने गा रही होती हैं। यह नजारा देखने के लिए लोग दूर- दूर से मंदिर आते हैं।

400 साल पुरानी परंपरा
यहां पिछले 400 सालों से पुरुष ही गरबा खेल रहे हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब वड़ोदरा में गायकवाड़ से पहले इस्लामी शासकों का शासन था तब स्त्रियों को परदे में रहना पड़ता था। देवी मां की पूजा-अर्चना के लिए पुरुष ही स्त्री का वेश धारण कर के यहां गरबा खेलते थे। हालांकि घड़ियाली पोल अंबा माता मंदिर के गरबा में आज सारे पुरुष ही गरबा खेलते हैं।

ये है वजह
जानकारी के अनुसार पुराने समय में देर रात गरबा में महिलाओं के शामिल होने को सुरक्षित नहीं माना जाता था। यही वजह है कि पुरुष महिला के भेष में गरबा खेलने लगे। बता दें कि महिलाओं को यहां आने पर पाबंदी नहीं है लेकिन वह इस सदियों पुरानी परंपरा को कायम रखने के लिए गाना गाती हैं।

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