बढ़ते सड़क हादसे

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देश भर में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में रोजाना सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में हर साल सड़क हादसों में होने वाली मौतों का दसवां हिस्सा अकेले भारत का होता है। 2017 में देश भर में हुईं सड़क दुर्घटनाओं में करीब डेढ़ लाख लोगों की जान चली गई। …

देश भर में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में रोजाना सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में हर साल सड़क हादसों में होने वाली मौतों का दसवां हिस्सा अकेले भारत का होता है। 2017 में देश भर में हुईं सड़क दुर्घटनाओं में करीब डेढ़ लाख लोगों की जान चली गई। यह आंकडे वास्तव में चिंताजनक हैं।

क्योंकि इतने लोग आपदाओं या फिर अन्य संघर्षों में भी नहीं मारे जाते। शनिवार को कानपुर के निकट एक ट्रैक्टर ट्राली पलटने से 27 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। दो दिन पहले लखीमपुर खीरी में हुए एक सड़क हादसे में दस लोगों की जान चली गई। इस तरह की दुर्घटनाएं एक बड़ी समस्या बन चुकी हैं और रोजाना इनमें अनेक लोगों की जान जा रही हैं।

इसी के चलते उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्रैक्टर ट्राली का उपयोग केवल कृषि कार्यों व माल ढुलाई के लिए करने को कहा है। यह समझना जरूरी है कि वाहन चलाते हुए लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि उनकी मामूली लापरवाही की वजह से अगर वाहन का संतुलन बिगड़ा तो न केवल दूसरों की, बल्कि खुद उनकी जान भी जा सकती है।

ऐसी दुर्घटनाओं में से लगभग सभी में यही बात सामने आती है कि किसी खास वाहन के चालक ने नियमों की अनदेखी की। सड़कों पर एक किस्म की अराजकता ही अधिक नजर आती है। समस्या केवल यह नहीं कि यातायात नियमों के पालन के प्रति लापरवाही का परिचय दिया जाता है, बल्कि यह भी है कि उनका उल्लंघन करने का उतावलापन सा दिखाया जाता है।

लगता है, हमारे यहां ज्यादातर लोग सड़कों पर सिर्फ वाहन चलाना जानते हैं, सड़क-सुरक्षा से जुड़े नियम-कायदों का पालन करना उन्हें जरूरी नहीं लगता।

सड़क सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए जब तक तंत्र से लेकर आम लोग तक सजग नहीं होंगे, तब तक ऐसी घटनाएं देश के लिए नुकसान का कारण बनती रहेंगी। बढ़ती मार्ग दुर्घटनाएं एक ओर जहां मानवीय क्षति के आंकड़े को भयावह स्तर पर ले जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर दुनिया में भारत की नकारात्मक छवि का निर्माण करती हैं।

नि:संदेह जरूरत है कि यातायात पुलिस और परिवहन विभाग भी यह समझें कि सड़क हादसों पर लगाम लगाने को सख्ती से नियमों का पालन कराने की जरूरत है। केंद्र सरकार ने 2024 तक देश में सड़क दुर्घटना तथा उनसे होने वाली मौत को 50 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य की प्राप्ति तब ही हो सकती है जब नागरिकों में संवेदनशीलता और ट्रैफिक नियमों व मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधानों के प्रति सजगता व जागरूकता हो।