मुरादाबाद : आकांक्षा गर्ग ने छोटी पूंजी से काम शुरू कर छुआ आसमां, यहां जानें

मुरादाबाद : आकांक्षा गर्ग ने छोटी पूंजी से काम शुरू कर छुआ आसमां, यहां जानें

मुरादाबाद, अमृत विचार। बदायूं जनपद के छोटे से कस्बे उझानी की बेटी ने वह कर दिखाया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। मात्र 50000 रुपये की छोटी सी पूंजी से निर्यात का काम शुरू करके आकांक्षा ने अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है। दिल्ली रोड स्थित सुपरटेक निवासी आकांक्षा गर्ग ने बताया …

मुरादाबाद, अमृत विचार। बदायूं जनपद के छोटे से कस्बे उझानी की बेटी ने वह कर दिखाया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। मात्र 50000 रुपये की छोटी सी पूंजी से निर्यात का काम शुरू करके आकांक्षा ने अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है।

दिल्ली रोड स्थित सुपरटेक निवासी आकांक्षा गर्ग ने बताया कि उनके पिता सुनील कुमार अग्रवाल बैंकों के लीगल एडवाइजर हैं। तीन भाई-बहन में सबसे बड़ी आकांक्षा को पढ़ाई-लिखाई करने की पूरी छूट थी मगर नौकरी करने की इजाजत नहीं थीं। उन्होंने नोएडा से एमबीए की पढ़ाई की। इसके बाद हैदराबाद से सीएफए की डिग्री हासिल की। उनकी मां नीता गर्ग भी एमए तक पढ़ी हैं। परिवार आर्थिक और सामाजिक रूप से संपन्न था मगर आकांक्षा कुछ अलग ही करना चाहती थी। उन्होंने ठान लिया था कि कुछ ऐसा करना है जिससे लोग उन्हें भी जाने।

परिवार वाले नौकरी के लिए बाहर भेजने के लिए किसी सूरत में तैयार नहीं थे। तब उन्होंने निर्यात में हाथ आजमाने की ठानी। इसके लिए पिता ने मात्र 50 हजार रुपये दिए। यह छोटी सी पूंजी लेकर आकांक्षा 2008 में मुरादाबाद आ गई। मगर यहां निर्यातकों की भीड़ में अलग पहचान बनाने के लिए उन्हें बहुत पापड़ बेलने पड़े। इसके लिए उन्होंने मैनोरा कैंडिल स्टिक होल्डर और वाइन गोबलेट्स बनाए। किसी तरह यूएसए के दो वायर तलाश किए। हांगकांग और यूरोप तक की खाक छानी। आज उनका सालाना टर्न ओवर साढ़े चार करोड़ रुपये का है। मामूली पूंजी से काम शुरू करके अपनी मेहनत के बल पर ऊंचाइयों पर पहुंचने वाली इस बेटी के हौसले को सलाम है।

ये भी पढ़ें : मुरादाबाद: सेक्स रैकेट चलाने वाली 25 हजार की इनामी महिला का घर कुर्क