कानपुर: अनोखा रावण का मंदिर, जहां शक्ति के प्रहरी के रूप में विराजमान हैं ‘दशानन’

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कानपुर, अमृत विचार। Kanpur Rawan Temple: पूरा देश जहां आज असत्य पर सत्य की जीत के प्रतीक स्वरूप रावण के पुतले को दहन करेगा। वहीं, शहर में रावण के ज्ञान और शक्ति के स्वरूप की पूजा करने के लिए भक्तों का तांता लगेगा। शिवाला स्थित दशानन मंदिर के कपाट ब्रम्ह महूरत में खुलते ही रावण …

कानपुर, अमृत विचार। Kanpur Rawan Temple: पूरा देश जहां आज असत्य पर सत्य की जीत के प्रतीक स्वरूप रावण के पुतले को दहन करेगा। वहीं, शहर में रावण के ज्ञान और शक्ति के स्वरूप की पूजा करने के लिए भक्तों का तांता लगेगा। शिवाला स्थित दशानन मंदिर के कपाट ब्रम्ह महूरत में खुलते ही रावण के दर्शन करने लोग पहुंचने लगे हैं। डेढ़ सौ साल पुराने मंदिर में दशानन शक्ति के प्रहरी के रूप में विराजमान हैं। बुधवार को विजयदशमी (Vijayadashmi) पर सुबह से पूजा के साथ शाम को दशानन की आरती उतारी जाएगी। रात में रावण का पुतला दहन होते ही मंदिर के कपाट साल भर के लिए बंद हो जाएंगे।

शक्ति के प्रहरी के रूप में हैं विराजमान

शहर के कैलाश मंदिर (Kailash Temple) में दशानन शक्ति के प्रहरी के रूप में विराजमान हैं। विजयदशमी को सुबह मंदिर में प्रतिमा का श्रृंगार-पूजन कर कपाट खोले जाते हैं। शाम को आरती उतारी जाती है। मंदिर के प्रबंधक अनिरुद्ध प्रसाद बाजपेयी ने बताया कि 1868 में महाराज गुरु प्रसाद शुक्ल (Maharaj Guru Prasad Shukl) ने मंदिर का निर्माण कराया था। वे भगवान शिव के परम भक्त थे। उन्होंने ही कैलाश मंदिर परिसर में शक्ति के प्रहरी के रूप में रावण का मंदिर निर्मित कराया था।

आरती में होते हैं नीलकंठ के दर्शन

मान्यता है कि दशानन मंदिर मे दशहरा के दिन दशानन की आरती के समय नीलकंठ के दर्शन श्रद्धालुओं को मिलते हैं। महिला श्रृद्धालु दशानन की प्रतिमा के करीब सरसों के तेल का दीया और तरोई के फूल अर्पित कर पुत्र की दीर्घायु व सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। वहीं, भक्त दशानन से विद्या और ताकत का वर भी मांगते हैं। मान्यता है कि मंदिर में दशानन के दर्शन करते समय भक्तों को अहंकार नहीं करने की सीख भी मिलती है, क्योंकि ज्ञानी होने के बाद भी अहंकार करने से ही रावण का अंत हो गया था।

दूध, दही और गंगाजल से होगा स्नान

मंदिर प्रबंधक अनिरुद्ध प्रसाद बाजपेयी (Anirudh Prasad Bajpai) ने बताया कि एतिहासिक दशानन मंदिर के कपाट बुधवार सुबह खोले जाएंगे। साफ-सफाई करके दशानन की प्रतिमा को दूध, दही गंगाजल से स्नान कराया जाएगा। विभिन्न प्रकार के पुष्पों से भी मंदिर को सजाया जाएगा। बताया कि इस बार अच्छी संख्या में भक्तों के शामिल होने की उम्मीद है। मंदिर में मां कई स्वरूपों में विद्यमान है। इस मंदिर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बाबा शिव के भक्त रावण को मुख्य द्वार पर बैठाया गया है।

इसलिए पूजा होती है

कहा जाता है कि ब्रह्म बाण नाभि में लगने के बाद और रावण के धराशाही होने के बीच कालचक्र ने जो रचना की उसने रावण को पूजने योग्य बना दिया। राम ने लक्ष्मण से कहा था कि रावण के पैरो की तरफ खड़े होकर सम्मान पूर्वक नीति ज्ञान की शिक्षा ग्रहण करो। क्योंकि, धरातल पर न कभी रावण के जैसा कोई ज्ञानी पैदा हुआ है और न कभी होगा। रावण का यही स्वरूप पूजनीय है। इसी स्वरुप को ध्यान में रखकर कानपुर में रावण के पूजन का विधान है। यहां लगातार हर साल विजयदशमी पर पूजा होती आ रही है।

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