बरेली: कल अदा की जाएगी शराफत मियां के कुल की रस्म

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बरेली, अमृत विचार। शनिवार सुबह 11 बजे कुल की रस्म के साथ 55वें उर्स-ए-शराफती का समापन हो जाएगा। उर्स के तीसरे दिन शुक्रवार को दरगाह शराफत मियां पर जायरीन द्वारा गुलपोशी व चादरपोशी का सिलसिला जारी रहा। मुंबई से फ्लाइट के जायरीन पहुंचे और हजारों जायरीन चादर के जुलूस लेकर आए। काफी संख्या में लोग …

बरेली, अमृत विचार। शनिवार सुबह 11 बजे कुल की रस्म के साथ 55वें उर्स-ए-शराफती का समापन हो जाएगा। उर्स के तीसरे दिन शुक्रवार को दरगाह शराफत मियां पर जायरीन द्वारा गुलपोशी व चादरपोशी का सिलसिला जारी रहा। मुंबई से फ्लाइट के जायरीन पहुंचे और हजारों जायरीन चादर के जुलूस लेकर आए। काफी संख्या में लोग सकलैन मियां से मुरीद भी हुए।

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मीडिया प्रभारी हमजा सकलैनी ने बताया कि दोपहर 1 बजे दरगाह के मेहमान खाने में जुमे की नमाज अदा की गई। रामनगर एक्सप्रेस से मुंबई व गुजरात के सूरत, जैतपुर, राजकोट, कच्छ, मांडवी, अहमदाबाद, मालेगांव आदि से एक बड़ा सकलैनी कारवां बरेली पहुंचा। जिसमें तकरीबन 500 जायरीन शामिल रहे। इस कारवां का नेतृत्व मुंबई के हनीफ वडाला सकलैनी ने किया।

इसके अलावा एक तकरीरी कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसकी सरपरस्ती सज्जादानशीन सकलैन मियां ने की। महाराष्ट्र से आए मौलाना आबिद सकलैनी साहब ने अपने बयान में कहा कि इस्लाम एक अमन पसंद, मोहब्बत का मजहब है। खानकाह सकलैनिया शराफतिया ऐसी खानकाह है जहां से पूरी दुनिया में मुहब्बत का संदेश दिया जाता है। इस खानकाह से बिना किसी भेदभाव सभी मजहब के लोगों की मदद व परेशानी दूर की जाती है।

इनके अलावा मुहम्मद शाहिद शेख ने कहा कि इस्लाम की असल तालीम और निजाम, खानकाहों में देखने को मिलता है। खानकाह वो ही हैं जहां दुनियादारी दिखाई न दे जहां सिर्फ और सिर्फ अल्लाह-अल्लाह ही हो। अल्लाह से किस तरह रिश्ता मजबूत हो इसके लिए जहां अमली तालीम दी जाती हो वो ही खानकाह है।

वहीं मौलाना नूर मुहम्मद मौलाना रुम्मान कादरी, मौलाना अनवार नईमी, मौलाना नफीस अहमद सकलैनी ने भी अपने- अपने खिताब में कौम को शरीयत व कुरान के मुताबिक जिन्दगी गुजारने पर जोर दिया।आखिर में गाजी मियां ने भाईचारे की अपील की। निसार अहमद (मुंबई) अंसार झांसवी, आमिल ककरालवी, हसीब रौनक, इमरान सकलैनी, मजहर सकलैनी, अरबाज सकलैनी आदि ने कलाम पेश किए।

निजामत मुख्तार सकलैनी व मौलाना जान मुहम्मद सकलैनी ने की। इस मौके पर मुंतखब मियां, हाफिज गुलाम गौस, हाफिज जाने आलम, इंतिखाब सकलैनी, मुर्तुजा सकलैनी, मुनीफ सकलैनी, निसार अहमद सकलैनी,अब्दुल हफीज सकलैनी, हाजी लतीफ सकलैनी, जावेद सकलैनी, आफाक सकलैनी, जिया सकलैनी आदि मौजूद रहे।

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