मुरादाबाद : साहब का सीयूजी नंबर बोल रहा… स्विच ऑफ
मुरादाबाद,अमृत विचार। सरकारी अधिकारी जनता के बीच संवाद की महत्वपूर्ण कड़ी टूटने की कगार पर है। सीयूजी नबंर उपेक्षित व तिरस्कृत बर्ताव के शिकार होने लगे हैं। सीयूजी नंबरों की सुधि लेना तो दूर उस पर आने वाली काल रिसीव करना भी अधिकारियों को गंवारा नहीं है। यूं कहें कि सरकार का सीयूजी नंबर अधिकारियों …
मुरादाबाद,अमृत विचार। सरकारी अधिकारी जनता के बीच संवाद की महत्वपूर्ण कड़ी टूटने की कगार पर है। सीयूजी नबंर उपेक्षित व तिरस्कृत बर्ताव के शिकार होने लगे हैं। सीयूजी नंबरों की सुधि लेना तो दूर उस पर आने वाली काल रिसीव करना भी अधिकारियों को गंवारा नहीं है। यूं कहें कि सरकार का सीयूजी नंबर अधिकारियों की मनमानी व तानाशाही रवैये का शिकार होने लगे हैं।
सरकार ही नहीं शासन भी हाईटेक तकनीकी आत्मसात करने पर बल दे रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह दायित्वों का समयबद्ध व गुणवत्तापूर्ण निस्तारण है। इस मंशा से ही शासन ने वर्षों पहले अधिकारियों को सीयूजी नंबर मुहैया कराए थे। एसएसपी, एएसपी, सीओ व थानेदार ही नहीं बल्कि पुलिस चौकी के प्रभारी तक को सीयूजी नंबर मुहैया कराया गया है। दायित्वों के लगातार बढ़ रहे बोझ व सूचनाओं पर पकड़ बनाने की दृष्टि से सीयूजी नंबर महत्वपूर्ण माने जाते रहे हैं। ऐसे में सीयूजी नंबर से कुछ अधिकारी कन्नी काटने लगे हैं। दो से तीन दिनों तक पुलिस अधिकारियों के मोबाइल फोन बंद मिलते हैं।
सीयूजी नंबर पर जाने वाली काल का जवाब देना जिम्मेदारों को गंवारा नहीं है। ऐसे हालात तब हैं, जब शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक परीक्षाएं पास करते हुए साहब ने खुद को जनहित में समर्पित करने की शपथ ले रखी है। देश व समाज की सेवा में कसमें खाने वाले अधिकारी शासन की मंशा का बोझ उठाने में पूरी तरह विफल हैं। नौकरी के पहले ही पायदान पर वह थके- हारे घोड़े की तरह बर्ताव कर रहे हैं। जवाबदेही से पल्ला छाड़ते हुए सीयूजी नंबर को तक को स्वीच आफ कर सो रहे हैं। अब भी यकीन नहीं तो मुरादाबाद पुलिस के सीयूजी नंबरों की टोह लें। चंद मिनट में गफलत काफूर हो जाएगी।
सीयूजी नंबर से सौतेला बर्ताव
मुरादाबाद के एसपी ग्रामीण के सीयूजी नंबर पर 27 अक्टूबर को रात नौ बजकर 40 मिनट पर दो काल की गई। महज एक मिनट पर नौ बजकर 41 मिनट पर भी दो काल की गई। चारों ही बार मोबाइल फोन स्वीच आफ होने का मैसेज मिला। 28 अक्टूबर शाम चार बजकर 59 मिनट पर भी यही जवाब मिला। 29 अक्टूबर को शाम छह बज कर 16 मिनट व रात आठ बजकर 16 मिनट पर दो काल की गई। दोनों ही बार पूरी काल गई। फिर भी कोई जवाब नहीं मिला। बैक काल करना भी पुलिस अधिकारियों ने गंवारा नहीं समझा।
अफरशाही शासन की मंशा पर भारी पड़ रही है। सीयूजी नंबर का प्रोटोकाल है। जिन भी पुलिस अफसरों के पास सीयूजी नंबर हैं, उन्हें रिस्पांस हर हाल में देना होगा। योगी आदित्यनाथ ने सीयूजी नंबरों पर रिस्पांस देने की हिदायत मातहतों को दी है। जो भी पुलिस अधिकारी सीयूजी नंबर पर तत्काल रिस्पांस करने में असमर्थ हैं, उन्हें अपने मातहत अथवा पीआरओ की मदद से जवाब देना चाहिए। अथवा काल बैक करते हुए संबंधित सूचना का संकलन व उससे संबंधित जवाब जरूर देना चाहिए। सरकारी नंबर पर जवाबदेही से परहेज करने वाले अफसरों को चिह्नित करते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए। -बीके सिंह, पूर्व डीजीपी यूपी
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