कानपुर में बोलीं राज्यपाल- शहरों की सेहत के लिए ऐसे अर्बन जंगल जरूरी

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कानपुर।उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने रविवार को विजय नगर स्थित ट्रैफिक चिल्ड्रेन पार्क में बने नमो वन का लोकार्पण किया। यह प्रदेश का पहला मियावाकी पद्वति से बना पार्क है। लोकार्पण के दौरान राज्यपाल ने कहा कि प्रकृति में वृक्षों व नदियों का एक महत्वपूर्ण स्थान है। आज एक बहुत बड़े त्यौहार का …

कानपुर।उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने रविवार को विजय नगर स्थित ट्रैफिक चिल्ड्रेन पार्क में बने नमो वन का लोकार्पण किया। यह प्रदेश का पहला मियावाकी पद्वति से बना पार्क है। लोकार्पण के दौरान राज्यपाल ने कहा कि प्रकृति में वृक्षों व नदियों का एक महत्वपूर्ण स्थान है। आज एक बहुत बड़े त्यौहार का अन्तिम दिन है, जिसको हम लोग छठ पूजा के रूप में मनाते है, छठ पूजा नदियों के किनारे की जाती है, यदि हमारे देश में नदियां नहीं होती तो हम यह उत्सव कैसे मनाते। इसी प्रकार हर प्रदेश में हर राज्य में 33 प्रतिशत जंगल होना चाहिए तब जाकर लोगों को शुद्ध हवा, शुद्ध पानी मिलेगा। प्रकृति को बचाने के लिए हमें नियमों का पालन करना होगा।

राज्यपाल ने कहा कि प्रत्येक वर्ष 1-2 डिग्री तापमान बढ़ रहा है। पेड़ पौधों को बचाना और बढ़ाना हमारा काम है। नगर निगम के उन श्रमिकों का मैं धन्यवाद देती हूं जिन्होंने यहां रोपित वृक्षों को संरक्षित किया। कहा कि हर परिवार को गरीबी से बाहर निकालना है और उनकों अच्छा जीवन देना है। सभी को शुद्ध पेयजल पहुंचाने के नलिए हर-घर-नल योजना के तहत कार्य तेजी से चल रहा है। देश को प्रदूषण मुक्त बनाने का कार्य किया जा रहा है, लेकिन यह तभी सम्भव होगा जब उसमें सभी की सहभागिता होगी।

राजपाल ने कहा कि दूषित पानी जमीन के अंदर डालने से वही पानी सबमर्सिबल के माध्यम से निकालकर लोग पी रहे है। इससे किडनी, कैंसर और हॉट अटैक के मरीज बढ़ रहे हैं। यह समझना होगा कि विरासत में क्या दे रहे हैं, अगर कुछ नहीं दे सकते तो उसे संभालकर रखें। उन्होंने कहा कि नमो वन पौधे लगाने वाले मालियों को सरकारी सुविधाएं दीजिए। नगर निगम लखनऊ व काशी में कार्यक्रम किया था, वहां सरकारी सुविधाएं दिलाई गईं हैं। इससे माली के बच्चे पढ़ेंगे तो इंजीनियर-डॉक्टर बनेंगे।

विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि प्रदूषण को कोई रोक सकता है तो वह वृक्ष है, यदि हम प्रकृति का सम्मान नही करेंगे तो प्रकृति हमारा सम्मान नही करेगी, प्रकृति में संतुलन बनाये रखने के लिये वृक्षारोपण जरूरी है। कहा कि आज हम जो वृक्ष लगायेंगे उसका लाभ हमारी आने वाली पीढ़ी उठायेगी। इसदौरान सांसद सत्यदेव पचौरी, देवेन्द्र सिंह भोले, विधायक नीलिमा कटियार, सरोज कुरील, सुरेन्द्र मैथानी, मण्डलायुक्त डा. राजशेखर, नगर आयुक्त शिवशरणप्पा जीएन समेत कई अधिकारी रहे।

इनका भी लोकार्पण- शनेश्वर मन्दिर स्थित ग्रीन बेल्ट, ट्रैफिक चिल्ड्रेन पार्क विजय नगर, अम्बेडकर पार्क पनकी, जागेश्वर अस्पताल परिसर, विजय नगर स्थित ट्रैफिक चिल्ड्रेन पार्क पार्ट-2, रतन शुक्ल इण्टर कालेज स्थित मैदान, गुफ्तार घाट के समीप स्थित भूमि, सरायमीता गैस प्लान्ट के सामने स्थित मैदान।

ऐसे बना है पार्क : पार्क के चारों तरफ बाउंड्रीवाल का रंगरोगन कराया गया है। यह चिल्ड्रेन ट्रैफिक पार्क था लेकिन रखरखाव न होने के कारण उजाड़ हो गया। अब नगर निगम ने पार्क को मियावकी पद्धति से हराभरा किया है।

पार्क में लगे पौधे: अर्जुन, पिलखान, शीशम, गोल्डमोहर, जामुन, मौलश्री, आडू, शहतूत, मेहंदी, तुलसी पारस, अशोक, पीपल, टिकोमा, चंपा आदि के पौधे लगाए गए है। इसके आलवा मसवानपुर के शनैश्वर मंदिर से लगी ग्रीन बेल्ट पर, पनकी के अंबेडकर पार्क, जागेश्वर अस्पताल परिसर गोविंद नगर व किदवईनगर में भी इसी पद्धति से पौधे लगाए गए हैं।

क्या होती है मियावाकी पद्धति
मियावाकी पद्धति का अविष्कार जापान के वनस्पति शास्त्री मियावकी ने किया था। इसमें छोटे-छोटे स्थानों पर छोटे-छोटे पौधे लगाए जाते है। जो साधारण पौधों की तुलना में 10 गुना तेजी से बढ़ते है। गड्ढा खोदने से पहले तीन प्रजातियों की लिस्ट बनानी होती है, जिसमें ऐसे पौधे चुने जाते हैं, जिनकी ऊंचाई पेड़ बनने पर अलग-अलग हो सके। इस पद्धति से पौधे कम खराब होते हैं।

पायलट प्रोजेक्ट के तहत लगाए गए पौधे
महापौर प्रमिला पाण्डेय ने बताया कि नगर निगम द्वारा वर्षा ऋतु 2020-21 में पायलट प्रोजेक्ट के तहत चार स्थलों पर 100400 पौधों को जिसमें पारस पीपल, जामुन, मौलश्री, अर्जुन, पिलखन, शीशम, गोल्डमोहर, कैजुरिना, सुखचैन, गूलर, आम, अशोक, अमरूद, नीबू, किन्नो, फाइकस, टिकोमा, चम्पा, कलैण्ड्रा, बॉटल ब्रश, जैट्रोफा, बांस, कनैर, आडू, नाशपाति, शहतूत, करौंदा, मेंहदी, तुलसी को लगाया गया। वर्ष 2021-22 व 2022-23 में भी चार स्थलों पर 182200 पौधो को लगाया गया। अब तक कुल 282600 पौधो को जापानी मियावाकी पद्धति द्वारा आठ स्थानों पर किया गया।

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