Gopashtami 2022: आज है गोपाष्टमी, जानिए गौ माता के पूजन की विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

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Gopashtami 2022: हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन गोपाष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है जो कि गाय को समर्पित है। इस दिन गौ माता का विधि-विधान के साथ पूजन किया जाता है, 36 करोड़ देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कहते हैं कि इस दिन से भगवान श्री कृष्ण …

Gopashtami 2022: हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन गोपाष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है जो कि गाय को समर्पित है। इस दिन गौ माता का विधि-विधान के साथ पूजन किया जाता है, 36 करोड़ देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कहते हैं कि इस दिन से भगवान श्री कृष्ण ने गौ चारण लीला शुरू की थी। आज के दिन गायों की विशेष रूप से पूजा करने का विधान है। आज गोपाष्टमी के दिन विभिन्न शुभ फलों की प्राप्ति के लिये, प्रगति के मार्ग प्रशस्त करने के लिये, सौभाग्य में वृद्धि के लिये और जीवन में चल रही समस्याओं के समाधान के लिये इस व्रत को करना चाहिए।

गोपाष्टमी तिथि व शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 1 नवंबर को सुबह 1 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी और रात 11 बजकर 4 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन सुबह 11 बजकर 42 मिनट से लेकर 12 12 बजकर 27 मिनट तक अभिजित मुहूर्त है। पूजा के लिए अभिजीत मुहूर्त बेहद ही शुभ माना गया है।

गोपाष्टमी पूजन विधि
गोपाष्टमी का त्योहार हिंदू धर्म में बेहद ही महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि इस दिन गौ माता का पूजन किया जाता है। कहते हैं कि गौ माता में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। गोपाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर मंदिर को स्वच्छ करें। फिर मंदिर में गाय माता की बछड़े के साथ एक तस्वीर लगाएं और उसके समक्ष घी का दीपक जलाएं। साथ ही धूपबत्ती भी करें और पुष्प अर्पित करें।

आज के दिन गाय माता को स्नान कराकर उनका श्रृंगार करना चाहिए और उचित प्रकार से उनकी पूजा करके आशीर्वाद लेना चाहिए। इस दिन गाय को अपने हाथों से हरा चारा खिलाना चाहिए और उनके चरण स्पर्श करने चाहिए। संभव हो तो गोपाष्टमी के दिन गाय को चारे के साथ ही गुड़ का भी भोग लगाएं। ऐसे करना शुभ माना गया है और इससे मनुष्य को सूर्य दोष से मुक्ति मिलती है। यदि आस-पास गाय का मिलना मुश्किल है तो किसी गौशाला में जाकर चारा दान करें और गायों की सेवा करें।

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