कानपुर में केएन गोविंदाचार्य बोलें- 18 हजार करोड़ खर्च पर गंगा का विकास अधूरा, सरकार को लेकर कही यह बात

गंगा संवाद यात्रा के आयोजक केएन गोविंदाचार्य कानपुर पहुंचे है।

कानपुर में केएन गोविंदाचार्य बोलें- 18 हजार करोड़ खर्च पर गंगा का विकास अधूरा, सरकार को लेकर कही यह बात

गंगा संवाद यात्रा के आयोजक कानपुर में केएन गोविंदाचार्य पहुंचे है। नरोरा से चलकर उनकी गंगा संवाद यात्रा का गोलाघाट पर समापन हुआ है। बांधों द्वारा गंगा में मात्र 15 फ़ीसदी जल ही छोड़ा जा रहा है। जिससे गंगा की दुर्गति हो रही है।

कानपुर, अमृत विचार। सरकार के 18 हजार करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी गंगा का आधा अधूरा विकास हुआ है। बांधों द्वारा गंगा में मात्र 15 फ़ीसदी जल ही छोड़ा जा रहा है जिससे गंगा की दुर्गति हो गई है। हम बिल्कुल नहीं कहेंगे कि सरकार ने विकास नहीं किया लेकिन जो कार्य हुए वह अधूरे हैं। यह बातें सोमवार को शहर आए गंगा संवाद यात्रा के आयोजक व पूर्व बीजेपी राष्ट्रीय संगठन मंत्री केएन गोविंदाचार्य ने कही।

अविरल गंगा-निर्मल गंगा के उद्घोष के साथ 11 नवम्बर को उत्तर प्रदेश के नरौरा से सुप्रसिद्ध विचारक केएन गोविंदाचार्य के नेतृत्व में गंगा संवाद पदयात्रा निकली। जिसका समापन सोमवार को कानपुर के गोलाघाट पर हुआ। यात्रा का गंगा की जय उद्घोष के साथ शहर में जगह-जगह स्वागत हुआ।

गोविंदाचार्य ने कहा कि सरकार द्वारा जिस मद में बजट को आवंटिक किया गया, उसके कार्यों की सरकार को समीक्षा करनी चाहिए।  बोले कि, नियत पर सवाल नहीं करता हूं जो कसर रह गई उसकी चिंता होनी चाहिए, क्यों ऐसा हुआ? आगे कैसे इसे ठीक करना चाहिए इसका मंथन करना होगा। सामान्य जनता की आस्था गंगा के प्रति है। संवाद, प्रशिक्षण और संघर्ष तीनों चीजें जरूरी हैं।

सत्ता से  सामाज को सवाल भी उठाना चाहिए। तभी गंगा को हम निर्मल बना सकेंगे। यात्रा में जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय शामिल रहे। गोविंदाचार्य की गंगा संवाद यात्रा दल में सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए और गंगा को निर्मल एवं अविरल रखने का संकल्प लिया।

300 किमी. दूरी तक गंगा के किनारे पदयात्रा

गोविंदाचार्य ने कहा कि नरौरा में गंगा को पूरी तरह बांध दिया गया है, पर्यावरणीय प्रवाह भी नहीं छोड़ा जा रहा है। औद्योगिक एवं नगरीय अपशिष्ट पदार्थ बेतहाशा गिरते रहने के कारण कानपुर में गंगा बेहद प्रदूषित हो गई है। इसी विडम्बना को सामने लाने के लिए 300 किलोमीटर से अधिक दूरी तक गंगा के किनारे पदयात्रा कर वस्तुस्थिति की जानकारी ली।

जलस्रोतों की समस्या पर होगा सम्मेलन

केएन गोविंदाचार्य ने कहा कि दो माह के भीतर नदियों एवं अन्य जलस्रोतों की अविरलता और निर्मलता की समस्या पर विमर्श करने के लिए वे एक सम्मेलन बुलाएंगे। उन्होंने कहा हे कि नदियों पर संकट सभ्यता का संकट है। नदियों के जल से औद्योगिक साम्राज्य खड़ा होता है पर वही आगे चलकर नदियों के लिये भस्मासुर बन जाते हैं और नदियों को लीलने पर उतारू हो जाते हैं।

जलस्रोतों को संरक्षित करना भी महत्वपूर्ण

यात्रा दल को संबोधित करते हुए कहा कि बड़ी नदियों के साथ साथ छोटी नदियों एवं लघु जलस्रोतों को संरक्षित करना भी महत्वपूर्ण है। क्योंकि बड़ी नदियाँ इन्हीं से मिलकर बनती हैं। उन्होंने उदाहरण के तौर पर दामोदर नदी का उल्लेख किया और कहा कि सरकारी खजाना से एक धेला खर्च किये बगैर गत 20 वर्षों के सतत जन प्रयास से दामोदर औद्योगिक प्रदूषण से क़रीब मुक्त हो गया है। शांतिपूर्ण जनांदोलन के माध्यम से किसी बड़े जलस्रोत को प्रदूषण मुक्त करनेवाला यह प्रत्यक्ष उदाहरण है।