बाबरी विध्वंस की 30वीं बरसी : मंदिर ट्रस्ट ने मनाया शौय दिवस, मस्जिदों में हुई कुरानख्वानी
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने जारी की मंदिर निर्माण कार्य की ताजा तस्वीर
चप्पे-चप्पे पर तैनात रहा पुलिस बल, सुरक्षा के रहे पुख्ता इंतजाम
अमृत विचार, अयोध्या। बाबरी विध्वंस की 30वीं बरसी पर अयोध्या के मठ-मंदिरों व मस्जिदों में भारी सुरक्षा बल तैनात रहा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने शौर्य दिवस मनाते हुए मंदिर की तस्वीरें जारी की हैं। इससे पहले सुबह ही मस्जिदों में कुरान ख्वानी हुई और उस दौरान घटना में मारे गए लोगों को याद कर उनके लिए दुआएं की गईं। छह दिसंबर होने के नाते अयोध्या में सुरक्षा व्यवस्था चाक- चौबंद रही। एंट्री प्वाइंट पर जगह-जगह तलाशी अभियान चलाया गया। संदिग्धों से पूछताछ का क्रम देर शाम तक जारी रहा।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने चल रहे मंदिर निर्माण के साथ शौर्य दिवस को लेकर तस्वीर जारी की, जिसमें स्लोगन लिखा है मंदिर वहीं बनेगा से मंदिर वही बन रहा है। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि मंदिर में लगने वाले नक्काशीदार पत्थर को एक के ऊपर एक रखकर ऊंचाई बढ़ाई जा रही है। मुझे लगता है कि प्लिंथ के ऊपर 10 से 12 फुट ऊंचाई तक पत्थर रखे जा चुके हैं।
गर्भगृह में मार्बल के भी खंभों को खड़ा कर दिया गया है। गर्भगृह के बाहर भी जहां तक दरवाजा आएगा वहां तक खंभे भी खड़े हो गए हैं। तो यह एक प्रगति है जो तस्वीरों के माध्यम से बताई गई है। शौर्य दिवस को लेकर जारी किए गए तस्वीर पर भी राय ने कहा कि छह दिसंबर 1992 गीता जयंती का दिन था। गीता एक निराश आदमी को सक्रिय करने का प्रमाण है। इसलिए वह शौर्य का दिन है।
छह दिसंबर जिस उद्देश्य के लिए था वह उद्देश्य पूरा हो गया है। वह कार्य चल रहा है। छह दिसंबर 30 वर्ष पुराना है जबकि लड़ाई तो 500 वर्षों से चल रही है। छह दिसंबर को अनेक लोग शरीर छोड़ गए और दो नवंबर 1990 को लोगों का बलिदान हो गया, लेकिन बलिदानों का यह सिलसिला 500 वर्ष पहले से चल रहा था। सब को श्रद्धांजलि और सबके त्याग परिश्रम का परिणाम वर्तमान में रामलला के भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण है।
कभी नहीं भूल पाएंगे विध्वंस का वह मंजर : हाजी महबूब
छह दिसंबर को लेकर किसी भी प्रकार के कार्यक्रम की जिला प्रशासन ने अनुमति नहीं दी, लेकिन मंगलवार की सुबह छह बजे मस्जिदों में कुरानख्वानी हुई और इस दौरान अयोध्या के बाबरी विध्वंस के दौरान हुई घटना में मारे गए मुस्लिम समुदाय के लोगों को याद किया गया। बाबरी मस्जिद विध्वंस के पैरोकार रहे हाजी महबूब ने छह दिसंबर के इस दिन को याद करते हुए कहा कि आज हमने मस्जिदों में कुरानख्वानी करवाई है जो लोग छह दिसंबर को शहीद हुए थे उनके लिए दुआएं की गई हैं।
हाजी महबूब ने कहा कि मस्जिद शहीद हो गई। सब कुछ खत्म हो गया। इसके अलावा क्या किया जाए। छह दिसंबर के दिन ज्यादा कुछ नहीं किया गया है जो होना था वह हो गया है। दोनों समुदाय के लोग आराम से मंदिर और मस्जिद का निर्माण करें। अदालत ने जो फैसला दिया हम लोगों ने उसे माना। इसके अलावा जो हुआ है वह ठीक ही हुआ है। हम लोग कोई प्रोग्राम नहीं करना चाहते। छह दिसंबर का दिन कोई भूल नहीं सकता इस दिन मस्जिद शहीद हुई है। मस्जिद शहीद होने का गम हमेशा रहेगा।
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