सजने-संवरने के दौर में अयोध्या की पौराणिक पहचान पर ग्रहण

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Published By Vinay Shukla
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अब तक एक दर्जन से अधिक सैकड़ों वर्ष पुरानी इमारतें की जा चुकी हैं ध्वस्त

अमृत विचार, अयोध्या। सरकार अयोध्या को सजाने और संवारने की तैयारी कर रही है, लेकिन इस योजना से अयोध्या अपनी पुरानी  पौराणिक पहचान खो रही है। एक दर्जन से अधिक सैकड़ों वर्ष पुरानी इमारतें ध्वस्त हो चुकी हैं। नया घाट से सहादतगंज तक 13 किलोमीटर में 200 से अधिक वर्ष पुराने 30 मंदिरों की पहचान समाप्त हो गई है।

 जिला प्रशासन जर्जर भवनों और दुकानों को गिराए जाने का कार्य तेजी से कर रहा है, जिसमें अब तक भैया पंडा, गंगा बाई धर्मशाला, शुक्ला मंदिर, नेपाली भवन, राजा बोध मंदिर, फूलपुर मंदिर, नरहरी मंदिर,बनारसी मंदिर, शीश महल मंदिर की पहचान को तोड़ दिया गया है। अब लाडली मंदिर, राम जानकी बल्लीपुर मंदिर, भूड़ मंदिर, हनुमानगढ़ी नया मंदिर, पुरुषोत्तम भवन मंदिर, वैद मंदिर के पहचान को भी गिराए जाने का कार्य शुरू हो चुका है।

 देर रात गिराई गईं दो दर्जन से अधिक दुकानें

कड़ी सुरक्षा के बीच सोमवार की देर रात रामपथ निर्माण के लिए बुलडोजर से दो दर्जन से अधिक दुकानें गिराई गईं। इन दुकानों के मुआवजे की रकम न मिलने से व्यापारियों में नाराजगी भी है। व्यापारी राजू गौड़ बताते हैं कि चौड़ीकरण की वजह से रोजी- रोजगार सब खत्म हो गया है।

हमारी शासन और प्रशासन से यही मांग है कि सबकी रोजी-रोटी चले और अयोध्या का विकास हो। राजेंद्र सिंह बताते हैं कि दुकानें तोड़ी जा रही हैं, लेकिन मुआवजा नहीं मिला है। जिलाधिकारी नितीश कुमार का दावा है कि सभी दुकानें सहमति के आधार पर तोड़ी जा रही हैं।

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