जयशंकर कब कहेंगे कि 2020 से पहले की स्थिति बहाल करना मुख्य उद्देश्य है: जयराम रमेश

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Published By Moazzam Beg
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नई दिल्ली। कांग्रेस ने चीन के साथ लगती सीमा पर तनाव के संदर्भ में विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा संसद में दिए बयान को लेकर मंगलवार को सवाल किया कि जयशंकर स्पष्ट रूप से कब यह घोषणा करेंगे कि भारत का मुख्य उद्देश्य वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 2020 से पहले की स्थिति बहाल करना है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी पूछा कि सरकार चीन को लेकर 1986 और 2013 की तरह आक्रामक रुख क्यों नहीं अपना रही है कि चीन अपने सैनिकों को पीछे हटा ले? 

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उन्होंने एक बयान में कहा, हम विदेश मंत्री की इस बात से सहमत हैं कि हमारे जवानों का सम्मान और सराहना होनी चाहिए क्योंकि वे हमारे शत्रुओं के खिलाफ मजबूती से खड़े रहते हैं। क्या प्रधानमंत्री का यह कहना जवानों का सम्मान था कि ‘हमारी सीमा में न कोई घुस आया है और न कोई घुसा हुआ है’? प्रधानमंत्री ने यह बात उस वक्त की थी जब हमारे 20 जवान सीमा की रक्षा करते हुए शहीद हुए। रमेश ने यह भी कहा, विदेश मंत्री ने दावा किया कि चीन के साथ संबंध ‘सामान्य नहीं’ हैं। फिर आपने (जयशंकर) चीनी राजदूत को तलब कर ‘डिमार्के’ (आपत्ति जताना और स्पष्टीकरण) क्यों जारी नहीं किया जैसे हम पाकिस्तान के उच्चायुक्त के साथ करते हैं? 

उन्होंने सवाल किया, चीन के साथ हमारे व्यापार की निर्भरता इतने रिकॉर्ड स्तर पर क्यों है कि 2020-21 में आयात 95 अरब डॉलर और व्यापार घाटा 74 अरब डॉलर तक पहुंच गया? हमारे सैनिकों ने सितंबर, 2022 में रूस ‘वोस्तोक 22’ में चीन के साथ युद्धाभ्यास क्यों किया? रमेश का कहना है, विदेश मंत्री ने कहा कि हम चीन को एकतरफा ढंग से एलएसी की स्थिति नहीं बदलने देंगे। क्या पिछले दो वर्षों से यथास्थिति नहीं बदली है कि चीन के सैनिक डेपसांग में 18 किलोमीटर भीतर की तरफ हैं? क्या यह सत्य नहीं है कि पूर्वी लद्दाख में हमारे सैनिक 1000 वर्गकिलोमीटर के क्षेत्र में पहुंच नहीं पा रहे हैं जहां वे पहले गश्त किया जा करते थे? 

उन्होंने सवाल किया, क्या यह स्थिति बदलना नहीं हुआ कि हमने ऐसे बफर जोन पर सहमति जता दी कि हमारे जवान उन क्षेत्रों में नहीं जा सकते जहां वे पहले गश्त करते थे? विदेश मंत्री कब स्पष्ट रूप से घोषणा करेंगे कि 2020 से पहले की यथास्थिति बहाल करना हमारा मुख्य उद्येश्य है? रमेश ने कहा, ‘‘विदेश मंत्री बोले कि ‘हम चीन पर दबाव डाल रहे हैं।’ अगर ऐसा है तो फिर हमने विशुद्ध रूप से प्रतिक्रिया करने का ही रुख क्यों अपना रखा है? 2020 से पहले की यथास्थित बहाल करने का पूरा भरोसा मिले बिना हमने कैलाश रेंज में अपने स्थानों से पीछे क्यों हटा लिया? 

उन्होंने पूछा, हम उस तरह से आक्रामक क्यों नहीं है कि चीन अपने सैनिकों को पीछे हटा ले जैसे 1986 और 2013 में हुआ था। हम ‘धारणा के अंतर’ का हवाला देकर कब तक चीनी आक्रमकता को सही ठहराते रहेंगे? ऐसा करना कब बंद होगा? विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान के परोक्ष संदर्भ में कहा था कि राजनीतिक मतभेद और आलोचनाओं में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन किसी को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपने जवानों की निंदा नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि सैनिकों के लिए ‘पिटाई’ शब्द का इस्तेमाल कर उनका अपमान नहीं किया जाना चाहिए। 

लोकसभा में ‘समुद्री जलदस्युता रोधी विधेयक, 2019’ पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की टिप्पणियों पर जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा, यदि चीन के प्रति भारत का रुख उदासीन होता तो सीमा पर सेना को किसने भेजा?, हम चीन पर सैनिकों की वापसी के लिए दबाव क्यों बनाते और हम सार्वजनिक रूप से क्यों कहते कि हमारे संबंध सामान्य नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि देश के जवान यांगत्से में 13 हजार फुट की ऊंचाई पर डटे हैं और सीमा की सुरक्षा कर रहे हैं। 

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