गुजरात विधानसभा अध्यक्ष बने शंकर चौधरी, जानें उनके विधायक बनने से लेकर अब तक की पूरी कहानी

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Published By Vishal Singh
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गांधीनगर। गुजरात में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के बाद गठित 15 वीं विधानसभा के एक दिवसीय सत्र में यहां मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक शंकरभाई चौधरी को निर्विरोध विधानसभा अध्यक्ष और पार्टी के वरिष्ठ विधायक जेठाभाई भरवाड़ को निर्विरोध विधानसभा उपाध्यक्ष चुना गया। चौधरी के नाम का प्रस्ताव राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल ने किया और  भरवाड़ का प्रस्ताव राज्य के वित्त मंत्री कनुभाई देसाई ने रखा। 

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विपक्षी दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सहित सभी विधायकों ने सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों शंकरभाई चौधरी और जेठाभाई भरवाड़ के नाम का समर्थन किया। उल्लेखनीय है कि हाल ही में गुजरात विधानसभा चुनावों में 182 विधानसभा सीटों में से भाजपा को 156, कांग्रेस को 17, आम आदमी पार्टी को पांच, समाजवादी पार्टी को एक और निर्दलीयों को तीन सीटें मिली थीं। 

कौन हैं शंकर चौधरी?
चौधरी वर्तमान में थराद सीट से बीजेपी के विधायक हैं। शंकर चौधरी 5वीं बार बीजेपी विधायक बने हैं। शंकर चौधरी को छोटी उम्र में ही नरेंद्रभाई मोदी ने सक्रिय राजनीति में ला दिया था। 1997 में युवा शंकर चौधरी तत्कालीन मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला के खिलाफ राधनपुर सीट से चुनाव लड़े थे। उस समय वे आरएसएस के नगर पदाधिकारी थे। उसके बाद गुजरात बीजेपी के संगठन महामंत्री नरेंद्र मोदी ने शंकर चौधरी को चुनावी मैदान में उतारा। तत्कालीन मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला से चुनाव हारने के बाद भी शंकर चौधरी वहां सक्रिय रहे। चुनाव हारने के बाद उन्हें बीजेपी युवा मोर्चा का जिला महामंत्री बनाया गया। 

शंकर चौधरी का राजनीतिक सफर
वह 1998 में राधनपुर सीट से विधायक बने, फिर वे पाटन जिला बीजेपी के अध्यक्ष बने। 2004-05 में वे बीजेपी युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने। उन्हें वर्ष 2009 में प्रदेश बीजेपी महामंत्री का दायित्व मिला। साल 2014 में आनंदीबेन पटेल सरकार में स्वास्थ्य राज्य मंत्री बने। उन्होंने डेयरी के विकास में भी प्रमुख भूमिका निभाई है। वे साल 2015 में बनास डेयरी के चेयरमैन बने।

अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने डेयरी की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया। बनास डेयरी राष्ट्रीय स्तर पर 6 राज्यों में फैली हुई है। उन्होंने सिर्फ 7 साल में डेयरी एसेट्स को 650 करोड़ से बढ़ाकर 2900 करोड़ कर दिया। विजय रूपानी की सरकार में मंत्री भी थे और उन्होंने बनासकांठा बाढ़ के दौरान लोगों के लिए अथक काम किया।

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