Goodbye 2022: योगी की असल अग्निपरीक्षा का साल होगा 2023, इन मोर्चों पर खरा उतरना बड़ी चुनौती
सियासती रथ का सारथी बनने के लिए जमीन तैयार करने का साल होगा 2023
अजय दयाल, लखनऊ। बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने अपने दूसरे कार्यकाल में सबसे अहम चुनौतियां साल 2023 में ही आने वाली हैं। उनके सामने राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक तीनों मोर्चों पर खरा उतरना, बड़ी चुनौती साबित होगा। सच पूछा जाय तो आने वाला साल योगी की असल ‘अग्निपरीक्षा’ का होगा। कुछ घंटों के बाद शुरू होने जा रहे नवीन साल में योगी की मंशानुरुप उपलब्धियां मिलीं तो यह मील का पत्थर साबित होगी।
इनवेस्टर्स समिट-2023 की सफलता जहां उत्तर प्रदेश को अपने पैरों पर खड़ा कर देगी वहीं ओबीसी आरक्षण का सर्वमान्य हल निकाल कर योगी राजनीतिक जमीन पर अंगद की भांति पैर जमा लेंगे। अब बात आती है साल 2024 में लोकसभा चुनाव की तो उत्तर प्रदेश से रिकॉर्ड तोड़ सीटें देकर कृष्ण की भांति वह राष्ट्रीय सियासती रथ के सारथी बन जाएंगे। इसके लिए भी जमीन तैयार करने का साल 2023 होगा।
दरअसल, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार के नीति निर्माता उत्तर प्रदेश को देश की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाला राज्य बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं। लक्ष्य है कि देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य की अर्थव्यवस्था को साल 2027 के अंत तक 1 ट्रिलियन डॉलर के पायदान पर खड़ा कर दिया जाए। इसके लिए आने वाले साल में 10 से 12 फरवरी की तारीख योगी के सपनों को पंख लगाने वाली होगी।
जहां तक सवाल ओबीसी आरक्षण संबंधी ज्वलंत मुद्दे की है तो इससे निपटते हुए निकाय चुनाव कराना भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए कम बड़ी चुनौती नहीं। एक ओर कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा से प्रदेश में माहौल बनाने को आमादा हैं तो वहीं दूसरी ओर सपा प्रमुख अखिलेश यादव पिछड़ा वर्ग के लिए न्याय का बिगुल फूंकने वाले हैं। रही बात बसपा नेत्री मायावती की तो पिछड़ों संग कथित अन्याय की दुहाई देकर वह दलितों को भविष्य का आईना दिखाने से पीछे न हटेंगी।
अब बात कर लेते हैं मिशन 2024 की जिसमें देश के सबसे बड़े आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश का नेतृत्वकर्ता होने के नाते योगी की जिम्मेदारियां भी बड़ी हैं। हालांकि लक्ष्य तो तय है प्रदेश की सभी 80 सीट जीतने का लेकिन कम से कम हर हाल में 70 सीट पर परचम फहराने से ही साख बनेगी। इस कवायद में ‘भितरघात’ से निपटते हुए सुरक्षित ‘सबकुछ साधने’ की उपलब्धि योगी के लिए खुद को ‘महारथी’ साबित कर देने वाली होगी।
अन्य अहम चुनौतियां
- - कोरोना बीमारी अपने नये स्वरूप के साथ एक बार फिर से भयाक्रांत करने को आमादा है। नवीन वर्ष में राज्य सरकार को इससे पार पाना होगा।
- - ग्लोबल इनवेस्टर्स सम्मेलन के बाद युवाओं को रोजगार देने के कितने रास्ते खुले इस पर आमजन की भी नजर होगी।
- - योगी की मंशा हर ग्रामीण तक स्वच्छ जल पहुंचाने की है। मार्च माह तक होमवर्क पूरा कर इस योजना को जमीन पर उतारना अहम चुनौती होगी।
- प्रदेश में संगठित अपराधों पर भले लगाम लग चुकी हो, लेकिन समय के साथ नासूर बनने से पहले साइबर क्राइम पर भी अंकुश लगाना होगा। - - भू-माफिया की तरह ही नशे के सौदागरों की भी जड़ें गहरी हैं। धरपकड़ तेज हुई है लेकिन रास्ता समूल नाश का तलाशना होगा।
- - प्रयागराज महाकुम्भ-2025 की तैयारियों के मद्देनजर इंन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए बजट की पर्याप्त व्यवस्था का साल भी 2023 रहेगा।
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