2022 में क्या रहा महंगाई का ग्राफ, जाने जनवरी से दिसंबर तक कितना रहा उछाल 

2022 में क्या रहा महंगाई का ग्राफ, जाने जनवरी से दिसंबर तक कितना रहा उछाल 

नई दिल्ली। साल 2022 खत्म हो चुका है। बीते साल महंगाई में कई सारे उतार चढ़ाव आए है। इस साल इसने लोगों को खूब सताया। 2022 में पहली बार गैस सिलेंडर 1,000 रुपए के पार निकल गया।

वहीं आटा इस साल 26 रुपए से बढ़कर 32 रुपए किलो पर भी पहुंचा। घर पर रोज इस्तेमाल होने वाली घरेलू सामान जैसे तेल, दूध और चावल जैसी चीजों के दाम भी इस साल बढ़े हैं। चलिए जानते है साल 2022 में जनवरी से लेकर दिसंबर तक महंगाई में कितना उछाल आया है।

सामान    जनवरी    दिसंबर  कितना पर्सेंट
गैस सिलेंडर   899.50 1053 17%
पेट्रोंल 95.41 96.72 2%
डीजल 86.67 89.62 1%
आटा  26 32 23%
सोयाबीन तेल 154 163 6%
चावल  32 34 6%
तुअर दाल 103 120 16%
आलू 16 23 44%
दूध  48 52 8%
शक्कर  40 41 2%
सोना  48,279 54,932 14%
चांदी  62,035 68,520 10%

घरेलू उत्पाद ही नही ब्याज की दरें भी हुई प्रभावित 

ब्याज दर  जनवरी    दिसंबर 
1 साल की दर 5.00% 6.75%
2 साल की दर 5.10% 6.75%
3 साल की दर 5.30% 6.25%
5 साल की दर 5.40% 6.25%

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2022 में क्या रहें महंगाई बढ़ने के कारण

भारत मे महंगाई बढ़ने के कई सारे कारण है। कई बार ऐसी परिस्थितियां बनी हैं, जिनका रिजल्ट बढ़ती महंगाई होता है। इस के कारणों में आपूर्ति ठीक ना होने से लेकर सप्लाई चैन में गड़बड़ आदि शामिल है।

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, महामारी के दौरान जब लॉकडाउन से बाजार बंद हो गया और मांग अचानक से कम हो गई। तों उत्पादन कम कर दिया गया, लेकिन बाजार खुलने के बाद तेजी से डिमांड बढ़ी। इससे उत्पादन कम हुआ और महंगाई बढ़ गई।

1– विश्व स्तर पर सप्लाई चेन बाधित होने से उत्पादन पर फर्क पड़ा है। हवाई व रेल सेवाएं बंद होने  और असेंबल जैसे व्यापार में रुकावट होने के बाद भी आपूर्ति नहीं हो रही है। जबकि वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन पढ़ाई से इसकी डिमांड ज्यादा हो गई थी। ऐसे में महंगाई बढ़ती चली गई।

2– महामारी के दौरान राशन की दुकानों में सामान की कमी थी। दुकानदार सीमित मात्रा में सामान खरीद रहे थे। अब उत्पादन से लेकर सप्लाई और ट्रांसपोर्ट से दुकान तक… हर स्तर पर कामगारों की भारी कमी रही। महंगाई बढ़ने की अहम वजह दो साल की डिमांड तीन महीने में आना को भी कहा जा सकता है। 

3–भारत में महंगाई के कारणों की बात करें तो डॉलर की तुलना में रुपया कमजोर होकर 80 के स्तर के पार पहुंच गया है। डॉलर महंगा होने से भारत का आयात और महंगा होता जा रहा है और इससे घरेलू बाजार में चीजों के दाम भी बढ़ रहे हैं।

4– वहीं कोविड के बाद से सप्लाई चेन अभी तक पूरी तरह से पटरी पर नहीं आई है, जिसने महंगाई को बढ़ाया है। इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण क्रूड ऑयल और खाने-पीने के सामानों के दाम बढ़े हैं।

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