मुरादाबाद : तारणहार ही महानगर में कर रहे हैं अपनी रामगंगा मैली

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Published By Priya
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शहरी क्षेत्र में हैं कुल नाले 164, नगर निगम के रिकॉर्ड में मात्र 24 का विवरण

(आशुतोष मिश्र) मुरादाबाद, अमृत विचार। देशभर में गंगा और यहां रामगंगा को स्वच्छ रखने का दावा मझधार में है। क्योंकि महानगर में कई नाले रामगंगा में बेरोकटोक गंदा पानी छोड़ रहे हैं, जिससे नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है। कटघर क्षेत्र में रामगंगा का पानी नहाने और पीने योग्य नहीं है। हालांकि, अगवानपुर क्षेत्र में नदी का जल स्वच्छ है। इससे साफ है कि तारणहार ही रामगंगा और गागन नदी को मैला कर रहे हैं।

  • पानी की गुणवत्ता खतरनाक स्थिति में, नहाने और पीने योग्य नहीं बचा
  • नगर निगम की रिपोर्ट के आधार पर 24 नाले रामगंगा में गिर रहे

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय की रिपोर्ट यह बात साफ कर रही है कि शहरी क्षेत्र में रामगंगा का पानी न नहाने योग्य है और न पीने योग्य। मनुष्य तो छोड़िए, पशु-पक्षी और मछलियों के लिए भी खतरनाक है। अगर नगर निगम की रिपोर्ट को आधार मानें तो शहरी क्षेत्र से महज 24 नाले रामगंगा नदी में गिरते हैं। जिस पर स्वच्छता के जरूरी प्रबंध किए गए हैं। निगम प्रशासन का दावा है कि शहरी क्षेत्र का पानी नदी को गंदा नहीं कर रहा है, जबकि गुलाबबाड़ी क्षेत्र में निगम का इकलौता सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) क्रियाशील है, जिससे शहर के सभी नाले नहीं जोड़े जा सके हैं।

बेरोकटोक शहरी कचरा रामगंगा में जा रहा है। जिस वजह से नदी के पानी की गुणवत्ता खतरनाक स्थिति में पहुंच गई है। नवंबर माह में लिए गए विवरण इस बात की गवाही दे रहे हैं कि रामगंगा का पानी जहरीला है। शहरी क्षेत्र से ही खराब और गंदा पानी नदी में जा रहा है। तभी अगवानपुर क्षेत्र में नदी का पानी उपयोग के लायक है और कटघर क्षेत्र में खतरनाक।

गागन में पानी छोड़ने वाले नाले
चंदौसी रोड लेफ्ट नाला, चंदौसी रोड राइट नाला, दिल्ली रोड लेफ्ट नाला, दिल्ली रोड राइट नाला।

अवैध निर्माण के बीच हैं नाले
शहर में अंग्रेजी हुकूमत के दौर में 32 अंडरग्राउंड नाले बनाए जाने का रिकार्ड प्रशासन के पास है। इन सीढ़ीनुमा नालों की सफाई मुंबई के मजदूरों से कराई जाती है। जानकारों का तर्क है कि इनमें से ज्यादातर नालों का अस्तित्व खत्म हो चुका है। स्टेशन रोड पर अंडरग्राउंड नाले पर दुकानें और होटल बन गए हैं। बुध बाजार में अंडरग्राउंड नाला दुकानों के नीचे दफन है। नागफनी और गलशहीद में इन नालों पर पूरे मोहल्ले बस गए। यही वजह है कि कई वर्ष से इन नालों की सफाई नहीं हो सकी। इनके अतिरिक्त शहर में 132 खुले नाले भी हैं। इनमें करूला नाला सबसे बड़ा है।

रामगंगा में पानी छोड़ने वाले नाले
करूला नाला, नवाबपुरा नाला, नवाबपुरानाला दो, विवेकानंद लेफ्ट नाला, विवेकानंद राइट नाला, टीडीआई नाला, मोक्षधाम नाला, एमआईटी नाला, चक्कर की मिलक नाला, जिगर कालोनी नाला, कटघर नाला, प्रभात मार्केट नाला, बरवलान नाला, कूड़ाघर नाला, जामा मस्जिद लेफ्ट नाला, जामा मस्जिद राइट नाला, घोसिया नाला, झब्बू का नाला, लालबाग काली मंदिर नाला, डहरिया नाला।

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एनजीटी के मानक के आधार पर नालों की निगरानी हो रही है। शहर के कुल 24 नाले हैं, जिसमें 20 रामगंगा और चार गागन नदी में गिरते हैं। इन्हें लोहे के जाल से टैप किया गया है। आठ नाले गुलाबबाड़ी के एसटीपी से जोड़े जा चुके हैं। जो नाले इस व्यवस्था से नहीं जुड़ पाए हैं उनका पानी री-मिडिंग के जरिए नदी में जाने दिया जाता है। नदी से सीधे जुड़ने वाले नाले शहर में कुल 24 ही हैं। -संजय चौहान, नगर आयुक्त

पीएच से समझें कैसा है पानी
पीएच प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण विभाग का शब्द है। जिसका मतलब होता है पानी में आक्सीजन की मात्रा को समझना। यानी नदी के पानी का पीएच पांच से अधिक नहीं होना चाहिए। बीओडी यानी जल में हाईड्रोजन की मात्रा। बीओडी तीन तक होने पर पानी का उपयोग मानव कर सकता है। इससे अधिक बीओडी वाला जल मानव उपयोग के लायक नहीं माना गया है।

रंग का यह है मानक
रंग (हैजन) के मानक के आधार पर पानी का उपयोग समझा जाता है। यानी की पानी का रंग उपयोग का मूल आधार है। पांच से 15 हैजन के पानी का प्रयोग पीने के पानी के लिए किया जा सकता है। इससे अधिक हैजन वाला जल मानव और पशुओं के लिए खराब माना गया है।

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