लखनऊ:  आक्सीजन प्लांट के साथ तीसरी लहर का मुकाबला करेगा प्रदेश

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Published By Vinay Shukla
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दूसरी लहर में थे केवल 23 आक्सीजन प्लांट, -80 हजार आक्सीजन बेड हैं तैयार

अमृत विचार, लखनऊ कोरोना महामारी की दूसरी लहर में आक्सीजन की छीना छपटी से सहमी राज्य सरकार ने आक्सीजन प्लांट की श्रृंखला स्थापित कर दी है। संभावित तीसरी लहर की तैयारियों की बात करें तो मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद राज्य में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से लेकर सभी बड़े उच्च संस्थानों में करीब 80 हजार बेड के साथ ही पर्याप्त आक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित की जा चुकी है।

चीन समेत अन्य कई देशों में कोरोना के नये वैरियंट संक्रमण के बढ़ने के बाद, राज्य सरकार द्वारा एलर्ट जारी हो चुका है। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग समेत प्रशासनिक अमले ने पिछली खामियों को देखते को हर स्तर पर पेच कसने शुरू कर दिये हैं। इंटीग्रेटेट कोविड कंट्रोल सेंटर सक्रिय कर दिया गया है। हवाई जहाज द्वारा बाहर से आने वालों की सैंपल लेकर जांच अनिवार्य कर दी गई है। पॉजिटिव मरीजों की जीनोम सिक्वेंसिंग भी कराने के निर्देश हुये हैं। इसके अलावा, संक्रमण बढ़ने की दशा में बेड भी आरक्षित हैं।

कोविड अस्पतालों में मिलेगी भरपूर आक्सीजन

स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. लिली सिंह के अनुसार इस समय पर प्रदेश में 558 आक्सीजन प्लांट ठीक हालत में हैं। कुछ दिनों में बढ़कर 584 हो जायेगी, क्योंकि 26 प्लांट अभी निर्माणाधीन हैं। उन्होंने बताया कि बीते साल प्रदेश में केवल 23 आक्सीजन प्लांट थे, इसके अलावा सिलिंडर द्वारा आक्सीजन आपूर्ति होती थी। इसके बाद प्रदेश सरकार ने 561 नये आक्सीजन प्लांट स्थापित करने की मंजूरी थी। जो कि सीएचसी लेकर उच्च संस्थानों तक में संभावित आवश्यकता के अनुसार स्थापित किये गये हैं।

65,501 आक्सीजन जबकि 14 हजार आईसीयू बेड

तीसरी लहर में आक्सीजन जरूरतमंद कोरोना मरीजों को भर्ती के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कुल 79,524 बेड की व्यवस्था की है। जिनमें 65,501 आक्सीजन युक्त आइसोलेशन बेड के अलावा गंभीर मरीजों के लिए 14023 आईसीयू बेड शामिल हैं। ये आईसीयू बेड एसजीपीजीआई, केजीएमयू समेत सभी उच्च संस्थानों में होंगे, जहां पर विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त,गंभीर हालत के मरीजों का पूरा इलाज होगा।

एयरपोर्ट पर हो रही स्क्रीनिंग

राज्य के नोडल अधिकारी डॉ. विकासेन्दु अग्रवाल का कहना है कि अभी तक, एक या दो मरीज मिलने का औसत है। इसलिए ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। हालांकि हम लोगों ने अस्पतालों में तैयारियों को परखने के लिए मॉकड्रिल कर ली गई हैं। हवाई अड्डे पर कुल यात्रियों में दो प्रतिशत यात्रियों की स्क्रीनिंग करायी जा रही है। रेलवे स्टेशन बस स्टेशन पर स्क्रीनिंग की आवश्यकता नहीं बनी है।

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