पीलीभीत: डीएम साहब को आई मेस्टर्न की याद, ट्रस्ट और पालिका से मांगे अभिलेख
पीलीभीत, अमृत विचार। नगर पालिका की बेशकीमती जमीन मेस्टर्न लाइब्रेरी की जमीन और भवन को लेकर नौ माह पहले जांच पूरी हो गई थी। लेकिन अफसरों की उदासीनता के चलते इसकी कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही थी। जबकि जांच रिपोर्ट में कमेटी ने इस जगह को पालिका का मालिक बताया था। लेकिन अब नौ माह बाद नवागत डीएम साहब को भी इसकी याद आ गई।
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सोमवार को डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार नगर पालिका के सामने बनी बिट्रिश हुकूमत के समय की मेस्टर्न लाइब्रेरी को देखने के लिए पहुंचे। जहां उन्होंने एडीएम एफआर राम सिंह गौतम, सिटी मजिस्ट्रेट डॉ. राजेश कुमार, एसडीएम योगेश गौड़ और ईओ नगर पालिका पूजा त्रिपाठी और वहां मौजूद ट्रस्ट के पदाधिकारियों के साथ पूरे भवन का निरीक्षण किया। जिसके बाद पदाधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में सदस्यों द्वारा अवगत कराया गया कि भवन में लाइब्रेरी के साथ-साथ क्लब एवं विद्यालय भी संचालित किया जा रहा है।
सदस्यों द्वारा अवगत कराया गया कि क्लब में 30 सदस्य हैं। क्लब के सदस्यों द्वारा 200 रू प्रति माह शुल्क जमा किया जा रहा है। क्लब की कार्यकारिणी का चुनाव प्रत्येक वर्ष कराया जाता है। लेकिन बैठक में ईओ पूजा त्रिपाठी की ओर से अवगत कराया गया कि उक्त भूमि/भवन का स्वाम्त्वि नगर पालिका परिषद का है। जिसकी लीज अवधि वर्ष 1962 में समाप्त हो चुकी है। जिसका नवीनीकरण आज तक नहीं हुआ है।
स्कूल संचालक व मेस्टर्न लाइब्रेरी ट्रस्ट के मध्य संपादित किराया नामा भी उपरोक्त स्थितियों में वैध नहीं है। जबकि स्कूल सिक्मि किरायेदार की श्रेणी में आता है। जिलाधिकारी जोकि ट्रस्ट के पदेन अध्यक्ष है, उनकी न तो स्वीकृति है और न ही इस पर उनके हस्ताक्षर हैं। पूर्व में बनाई गई जांच कमेटी ने भी इस जगह को पालिका का ही बताया है। बैठक में यह मुद्दा तूल पकड़ने लगा। इस पर डीएम ने कहा कि इस प्रकरण को लेकर दोनों ही पक्ष अपने-अपने मूल अभिलेख प्रस्तुत करें। पूर्व में हुई जांच को भी चेक किया जाएगा। जिसके बाद इसका अंतिम निर्णय दिए जाने के निर्देश दिए।
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