बरेली : वित्तीय अनियमितता पर उत्तरायणी जनकल्याण समिति के खाते सीज

नोटिस के एक माह बाद भी जवाब दाखिल नहीं किया, सहायक रजिस्ट्रार ने की कार्रवाई, मेले का भुगतान भी फंसेगा

बरेली : वित्तीय अनियमितता पर उत्तरायणी जनकल्याण समिति के खाते सीज

बरेली, अमृत विचार। सीए की 50 पेज की जांच रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा होने के बाद उत्तरायणी जन कल्याण समिति के अध्यक्ष समेत अन्य पदाधिकारियों ने सहायक रजिस्ट्रार के नोटिस का एक माह बाद भी जवाब नहीं दिया। इस पर सहायक रजिस्ट्रार नीरज उर्फ यादवेंद्र पाठक फर्म्स सोसायटी एवं चिट्स ने उत्तरायणी जन कल्याण समिति के बैंक खातों को सीज कर दिया।

बैंक ऑफ बड़ौदा के मैनेजर, एलडीएम को भी पत्र भेजा है, जिसमें कहा है की समिति की संपत्ति को खुर्दबुर्द होने से रोकने के लिए सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत अग्रिम आदेशों तक संस्था के सभी बैंक खातों के आहरण पर रोक लगाई जाती है। सहायक रजिस्ट्रार ने 28 जनवरी को बैंक खातों के आहरण पर रोक लगा दी थी। 

सोमवार को चिट्ठी एलडीएम और बैंक ऑफ बड़ौदा सिविल लाइंस पहुंच गई। वहीं, बैंक खाता के संचालन पर रोक लगाने से समिति के पदाधिकारियों में खलबली मच गई है। 13 से 15 जनवरी तक उत्तरायणी जन कल्याण समिति की ओर से बरेली क्लब में भव्य मेले का आयोजन किया गया था। जिसमें तमाम व्यापारियों का लाखों रुपये की देनदारी अभी खड़ी है। अचानक खातों पर रोक लगने से उनका भुगतान भी फंस गया है। इस संबंध में समिति के महासचिव दिनेश चंद्र पंत ने बताया कि खातों पर रोक लगाने के संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। न ही सहायक रजिस्ट्रार की ओर से उन्हें कोई नोटिस प्राप्त हुआ। मामले में जानकारी करके ही कुछ बता पाएंगे।

दिसंबर में आई थी रिपोर्ट, तभी नोटिस जारी हुए
समिति से जुड़े विनोद जोशी की शिकायत पर सहायक रजिस्ट्रार ने सीए से उत्तरायणी जन कल्याण समिति के पिछले 10 साल के लेखा-जोखा की जांच कराई। डेढ़ माह में करीब यह जांच रिपोर्ट तैयार हुई थी। जिसमें समिति में कई ऐसे कार्य उजागर हुए जो नियम विरुद्ध किए गए थे, बिन बाउचर के लेनदेन किया गया। भवन खरीद में नियम विरुद्ध एफडी तोड़ने की बात भी सामने आई थी। तमाम अन्य मामले भी खुले थे। सीए की 50 पेज की रिपोर्ट आने के बाद उपरोक्त आरोपों को लेकर सहायक रजिस्ट्रार ने दिसंबर 2022 में समिति अध्यक्ष और महासचिव को नोटिस जारी करते हुए वित्तीय अनियमितताओं पर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए थे।

कई पूर्व पदाधिकारी मामले में फंसे हैं
समिति के 10 साल के लेखा जोखा की जांच में जिन पूर्व कई अध्यक्ष, महासचिव, कोषाध्यक्ष के कार्यकाल में वित्तीय अनियमितताएं खुली हैं, उसमें कई लोग आरोपों से बचने के लिए राजनीतिक पहुंच का सहारा भी ले रहे हैं।

कई चेकों का भुगतान रुकने को लेकर पदाधिकारियों में खलबली
दो से तीन दिन पहले होटल, टेंट कारोबारी समेत अन्य को समिति की ओर से भुगतान में जो चेक दिए गए थे, उनका भुगतान लटकने को लेकर समिति पदाधिकारियों में खलबली मच गई है। चिट्ठी मिलने के बाद समिति के पदाधिकारी सब रजिस्ट्रार से मिलने जाने की रणनीति बना रहे हैं।

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