विकसित भारत के निर्माण का कालखंड है अमृतकाल : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

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Published By Ashpreet
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नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि आजादी का अमृतकाल देश के प्रत्येक नागरिक के लिए कर्तव्य की पराकाष्ठा करके दिखाने और विकसित भारत के निर्माण में योगदान देने का कालखंड है।

मुर्मू ने कहा कि आज भारत का आत्मविश्वास शीर्ष पर है और दुनिया का उसे देखने का नजरिया बदला है। देशवासियों ने पिछले नौ वर्षों में ऐसे अनेक सकारात्मक परिवर्तन पहली बार देखे हैं। राष्ट्रपति ने संसद के बजट सत्र के पहले दिन केन्द्रीय कक्ष में दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा,  अमृतकाल का यह 25 वर्ष का कालखंड, स्वतन्त्रता की स्वर्णिम शताब्दी का, और विकसित भारत के निर्माण का कालखंड है। ये 25 वर्ष हम सबके लिए और देश के प्रत्येक नागरिक के लिए कर्तव्यों की पराकाष्ठा करके दिखाने के हैं।

उन्होंने कहा कि हमें ऐसा भारत बनाना है जो आत्मनिर्भर और मानवीय दायित्वों को पूरा करने में समर्थ हो, जिसमें गरीबी न हो और जिसका मध्य वर्ग भी वैभव से युक्त हो। उन्होंने कहा कि हमें 2047 तक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना है जो अपने अतीत के गौरव से जुड़ा हो और जिसमें आधुनिकता का हर स्वर्णिम अध्याय भी जुड़ा हो। राष्ट्रपति ने कहा कि हमें ऐसे भारत का निर्माण करना है जिसमें युवाशक्ति और नारी शक्ति सबसे आगे खड़ी हो तथा युवा समय से दो कदम आगे चलते हों। उन्होंने अमृतकाल में देश की विविधता को और अधिक ज्वलंत तथा एकता को और अधिक अटल बनाने का आह्वान किया।

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि आजादी का अमृतकाल देश के प्रत्येक नागरिक के लिए कर्तव्य की पराकाष्ठा करके दिखाने और विकसित भारत के निर्माण में योगदान देने का कालखंड है। मुर्मू ने कहा कि आज भारत का आत्मविश्वास शीर्ष पर है और दुनिया का उसे देखने का नजरिया बदला है। देशवासियों ने पिछले नौ वर्षों में ऐसे अनेक सकारात्मक परिवर्तन पहली बार देखे हैं।

राष्ट्रपति ने संसद के बजट सत्र के पहले दिन केन्द्रीय कक्ष में दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा,  अमृतकाल का यह 25 वर्ष का कालखंड, स्वतन्त्रता की स्वर्णिम शताब्दी का, और विकसित भारत के निर्माण का कालखंड है। ये 25 वर्ष हम सबके लिए और देश के प्रत्येक नागरिक के लिए कर्तव्यों की पराकाष्ठा करके दिखाने के हैं।

उन्होंने कहा कि हमें ऐसा भारत बनाना है जो आत्मनिर्भर और मानवीय दायित्वों को पूरा करने में समर्थ हो, जिसमें गरीबी न हो और जिसका मध्य वर्ग भी वैभव से युक्त हो। उन्होंने कहा कि हमें 2047 तक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना है जो अपने अतीत के गौरव से जुड़ा हो और जिसमें आधुनिकता का हर स्वर्णिम अध्याय भी जुड़ा हो।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमें ऐसे भारत का निर्माण करना है जिसमें युवाशक्ति और नारी शक्ति सबसे आगे खड़ी हो तथा युवा समय से दो कदम आगे चलते हों। उन्होंने अमृतकाल में देश की विविधता को और अधिक ज्वलंत तथा एकता को और अधिक अटल बनाने का आह्वान किया।

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