शिक्षा मंत्रालय ने 244 पदों को समाप्त करने का प्रस्ताव दिया था: उपराज्यपाल कार्यालय 

Amrit Vichar Network
Published By Vishal Singh
On

नई दिल्ली। उपराज्यपाल कार्यालय ने मंगलवार को कहा कि मनीष सिसोदिया के नेतृत्व वाले दिल्ली के शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल प्रधानाध्यापकों के 244 पदों को खत्म करने का प्रस्ताव दिया था और पांच साल तक नहीं भरे जाने के कारण इन्हें ''समाप्त समझा'' गया। उपराज्यपाल का बयान मनीष सिसोदिया के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने उपराज्यपाल पर नियुक्ति पर रोक लगाने का आरोप लगाया था। 

सिसोदिया ने रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था, "उन्होंने यह सुनिश्चित किया था कि 370 प्रधानाचार्यों की नियुक्ति के लिए फाइल उपराज्यपाल कार्यालय को भेजी जाए, लेकिन केवल 126 को ही मंजूरी दी गई और उपराज्यपाल मामूली आधार पर 244 पदों की नियुक्तियों को रोक रहे हैं।" उन्होंने उपराज्यपाल पर सेवा विभाग को असंवैधानिक रूप से संभालने का भी आरोप लगाया था। वहीं, उपराज्यपाल ने बताया कि वह उपमुख्यमंत्री के प्रस्ताव से सहमत नहीं थे और उन्होंने शिक्षा विभाग को प्रधानाध्यापकों के पदों को समाप्त करने या बनाए रखने पर एक अध्ययन करने की सलाह दी। 

कार्यालय ने सिसोदिया द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें "स्पष्ट रूप से गलत, तथ्य रहित, भ्रामक और संवैधानिक प्रावधानों और दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना" करने वाला करार दिया। उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से कहा गया कि 12 अप्रैल, 2017 के वित्त मंत्रालय के मेमो के अनुसार, इन पदों को "समाप्त माना गया" था क्योंकि शिक्षा विभाग उन्हें पांच साल से अधिक समय तक नहीं भर सका। 

वित्त मंत्रालय के ‘मेमो’ में प्रावधान है कि 'समाप्त मानने' की श्रेणी में आने वाले पद को सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना नहीं भरा जा सकता है। प्रधानाध्यापकों के कुल 370 रिक्त पदों में से, 126 पद दो साल से अधिक समय से खाली थे और 244 पद पांच साल से अधिक समय से खाली थे, जो उन्हें वित्त मंत्रालय के मेमो के अनुसार "डीम्ड एब्लीशन" के दायरे में लाते हैं।

ये भी पढ़ें- नई सहकारिता नीति बनने से देश में सहकारी आंदोलन मजबूत होगा: अमित शाह

संबंधित समाचार