संभल : सजा सुनते ही टूटी आसिफ व जफर के परिजनों की आस, सात साल से तिहाड़ जेल में बंद थे दोनों

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Published By Bhawna
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दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 2015 में किए थे गिरफ्तारी, आसिफ को लेकर दावा किया गया था कि उसने देश के कई प्रदेशों में अपना नेटवर्क फैला रखा था

भीष्म सिंह देवल, अमृत विचार। आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में सात साल से जेल में बंद संभल के मोहम्मद आसिफ व जफर मसूद को अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद उनकी रिहाई की आस लगाए परिजनों को बड़ा झटका लगा है। आसिफ और जफर मसूद को बेगुनाह बताने का दावा भी कमजोर हो गया है। 

सूत्रों की माने तो शहर के मोहल्ला दीपा सराय निवासी मोहम्मद आसिफ को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 14 दिसम्बर 2015 को दिल्ली के सीलमपुर से गिरफ्तार किया था। उसकी गिरफ्तारी के अगले दिन दीपा सराय के ही रहने वाले जफर मसूद को दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया था। इन दोनों की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली पुलिस ने जो दावा किया था उसे सुनकर संभल ही नहीं प्रदेश और देश में लोग हैरत में पड़ गये थे। दिल्ली पुलिस ने खुलासा किया था कि आसिफ न सिर्फ आतंकी गतिविधियों में शामिल था, बल्कि कुख्यात आतंकी संगठन अलकायदा के इंडियन सबकांटीनेंट (एक्यूआईएस) यूनिट का इंडिया चीफ था। आसिफ के कब्जे से बरामद लैपटॉप में जेहाद से जुड़े वीडियो, ऑडियो होने का दावा किया गया था। वहीं जफर मसूद को लेकर कहा गया था कि वह हवाला कारोबार के जरिये आतंकियों को फंडिंग करता था। भले ही दिल्ली पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों ने आसिफ व जफर मसूद पर गंभीर आरोप लगाए थे, मगर  परिजन आरोपों को झूठा बताकर अपनों को बेकसूर बता रहे थे। 

दो साल पहले पिता की मौत पर घर आया था मोहम्मद आसिफ
 दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार आसिफ को अब तक जमानत नहीं मिल पाई। दो साल पहले आसिफ के पिता की मौत हो गई तो परिजनों ने अदालत से पैरोल मांगी थी। 22 जनवरी 2021 को अदालत से पैरोल मिलने के बाद आसिफ भारी पुलिस इंतजाम के बीच संभल आया था। वह अपने पिता की कब्र पर गया था और कुछ देर के लिए अपने परिवार और बेटे से भी मिला था।

यह किया था दावा
आसिफ की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के तत्कालीन ज्वाइंट कमिश्नर अरविंद दीप ने दावा किया था कि मोहम्मद आसिफ 2012 में अलकायदा के इंडियन सबकांटीनेंट यूनिट के मुखिया सनाउल हक उर्फ मौलाना आसिम उमर के संपर्क में आकर पाक-अफगान सीमा पर स्थित वजीरिस्तान पहुंचा था। 2013 को वह दिल्ली के वेलकम निवासी रेहान और संभल निवासी सरजील को लेकर तेहरान पहुंचा। वहां से जेडान, ब्लूचिस्तान के रास्ते पाक-अफगान सीमा पर वजीरिस्तान पहुंचा। वजीरिस्तान में उसकी मुलाकत मौलाना आसिम उमर से हुई। जहां इन लोगों ने दीनी व जेहादी ट्रेनिंग ली। 2014 में आसिफ को इंडिया चीफ की कमान सौंपी गई। दोनों को सजा होने के बाद इस तरह की चर्चा पूरे मोहल्ले में होती रही। चाय की दुकानों पर भी लोग इन्हीं दोनों के बारे में बातें करते दिखाई दिए। 

फैसले के समय दिल्ली पहुंच गए थे परिवार के सदस्य
सात साल से जेल में बंद आसिफ व जफर मसूद की रिहाई की आस लगाए परिजन अदालत का फैसला सुनकर परेशान हैं। गिरफ्तारी के बाद से ही परिजन कह रहे थे कि दिल्ली पुलिस ने झूठे आरोप बनाकर उन पर आतंकी होने की तोहमत लगाई है। ऐसे में अदालत से इंसाफ मिलेगा और दोनों की बाइज्जत रिहाई हो जायेगी। आसिफ व जफर के परिजन अदालत के फैसले पर निगाह लगाए थे। परिवार के कई लोग फैसले के समय दिल्ली गये थे। जब पता चला कि अदालत ने आसिफ व जफर मसूद को सात साल पांच माह की सजा व  25-25 हजार रुपये जुर्माने का फैसला सुनाया तो वह सन्न रह गए।   

कई प्रदेशों तक फैलाया था नेटवर्क
आसिफ को लेकर दावा किया गया था कि उसने देश के कई प्रदेशों में अपना नेटवर्क फैला रखा था। सोशल मीडिया के जरिये नौजवानों का ब्रेनवाश कर आतंकी बनाने का काम किया जा रहा था। आरोप था कि आसिफ नौजवानों को जेहाद से जुड़े साहित्य, ऑडियो व वीडियो मुहैया कराता था। 

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