रबड़ फैक्ट्री: फैसला कराने को बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट में लगाई अर्जी

बहस पूर्ण होने के बाद अचानक बेंच में हुए बदलाव को लेकर राज्य सरकार गंभीर हुई

रबड़ फैक्ट्री: फैसला कराने को बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट में लगाई अर्जी

बरेली, अमृत विचार। बॉम्बे हाईकोर्ट में रबड़ फैक्ट्री प्रकरण की सुनवाई कर रही बेंच के अचानक बदले जाने को लेकर बरेली से लेकर लखनऊ तक के अफसरों को यह डर सता रहा है कि कहीं नई बेंच नए सिरे से मामले में सुनवाई न शुरू कर दे, इसलिए राज्य सरकार की ओर से मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट में अर्जी लगाई गई है।

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एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सी सिंह की ओर से दाखिल की गई अर्जी में कहा गया है कि रबड़ फैक्ट्री प्रकरण में राज्य सरकार और अलकेमिस्ट एसेट्स रिकंस्ट्रक्शन लिमिटेड के पक्षों की सुनवाई के साथ बहस भी पूरी हो चुकी है। अब फैसला सुनाया जाए। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश के यहां दाखिल आवेदन के संबंध में अभी तक कोई सुनवाई होने जैसी बात सामने नहीं है। चर्चा यह हो रही है कि फैसला आने के दिनों में बेंच बदलना इत्तफाक नहीं हो सकता है।

नए सिरे से सुनवाई होने पर केस का रुख भी बदल सकता है। ऐसी नौबत से बचने के लिए राज्य सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पूरी तरह से फैसला कराने की पैरवी में लगे हैं। शासन ने भी जिला प्रशासन से केस की अब तक की स्थिति की पूरी रिपोर्ट तलब की है। कलेक्ट्रेट में गुरुवार को अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व के निर्देश पर रबड़ फैक्ट्री प्रकरण की रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी गई। मामले में मंडलायुक्त के यहां से भी फाइलें तलब की गई हैं। करीब 18 अरब रुपये कीमत वाली रबड़ फैक्ट्री की भूमि पर मालिकाना हक लेने के लिए राज्य सरकार कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है।

22 फरवरी को सुनवाई होने के बाद यह माना गया था कि अब फैसला आएगा लेकिन तब तक बेंच बदल गई थी। 8 मार्च को नई बेंच में सुनवाई हुई थी, लेकिन सिर्फ पुरानी बेंच से नई बेंच में फाइलें पहुंची थीं। बॉम्बे हाईकोर्ट में पिटीशन संख्या 999/2020 अलकेमिस्ट एसेट्स रिकंस्ट्रक्शन लिमिटेड बनाम मैसर्स सिंथेटिक एंड केमिकल्स लिमिटेड व अन्य में शासन की ओर से हस्तक्षेप आवेदन दाखिल है। हस्तक्षेप आवेदन पर ही सुनवाई चल रही है। 1960 के दशक में मुंबई के सेठ किलाचंद को फतेहगंज पश्चिमी में 1382.23 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई गई थी। 24 साल से फैक्ट्री बंद है।

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