मिशन-2024: जातीय गणना नहीं, ओबीसी की 17 जातियों को एससी में लाने का प्रयास

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Published By Jagat Mishra
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मुलायम, अखिलेश के बाद सीएम योगी भी कोशिश में

महेश शर्मा
कानपुर, अमृत विचार। भाजपा पिछड़ा मोर्चा की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक पार्टी के बड़े चेहरों ने संबोधन के लिए शिरकत तो की पर ओबीसी के मुद्दे पर कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया जा सका। ओबीसी गणना के मुद्दे को सिरे से खारिज कर दिया गया। उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग को केंद्रीय पिछड़ावर्ग आयोग की तर्ज पर संवैधानिक दर्जा देने पर सिर्फ इतना कहा गया कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन के बाद इस पर विचार किया जाएगा। यही नहीं ओबीसी की कुछ जातियों को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल किए जाने के प्रयास जारी हैं पर अब तक ऐसा नहीं हुआ। उक्त जानकारी देते हुए प्रदेश प्रवक्ता जेपी कुश्वाहा ने बताया कि रविवार की बैठक में तय हुआ कि मुद्दे पर सरकार से बातचीत की जाएगी।

इससे इस वर्ग के हाथ निराशा ही लगी। यूपी में कुल 52 फीसदी पिछड़ी जाति और 22 फीसदी अनुसूचित जाति की आबादी है। पिछड़ों को 27 फीसदी और अनुसूचित जाति को 21 फीसदी आरक्षण मिल रहा है। ऐसे में पिछड़ों की आबादी की गणना की मांग को राजनीतिक कारणों से दरकिनार करना भाजपा पिछड़ा मोर्चा के नेताओं में चर्चा का विषय है। हालांकि ओबीसी की कुछ जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करके आरक्षण पर योगी सरकार मंथन कर रही है। मंत्री संजय निषाद और राकेश सचान से मुख्यमंत्री ने बैठक भी की थी। ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कुछ हल निकल भी सकता है। 

राज्य में बीते कोई बीस साल से ओबीसी की 17 जातियां अनुसूचित जाति में होने का सपना देख रही हैं। यहां पर उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने इन 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति की श्रेणी में शामिल करने वाले नोटीफिकेशन को ऐसे समय रद्द किया है जब चुनावी तैयारियों के लिए जातीय गणित बैठायी जा रही है। ये जातियां भाजपा का वोटबैंक भी मानी जाती हैं। इसको लेकर भाजपा पर इस समाज का प्रेशर भी है। कश्यप, केवट, कहार, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, राजभर, धीमान, बाथम, गोडिया, तुरहा, मांझी, मछुआरा जातियां हैं जिन्हें अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने की मांग चल रही है। भाजपा के लिए यह दुविधा का सवाल इसलिए भी हैं कि सरकार यदि ऐसा करती है तो अनुसूचित जाति आरक्षण के दायरा बढ़ाना पड़ सकता है। 

वहीं यदि भाजपा सरकार ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण में इन 17 अतिपिछड़ी जातियों के लिए कोटा तय किया जाता है तो कुर्मी, यादव, कुश्वाहा, सोनार, लोध, जाट जैसी ओबीसी जातियां मुंह बनाने लगेंगी। पिछड़ा वर्ग मोर्चा की कार्याकारिणी में भाग लेने आए एक अनुभवी नेता ने बताया कि ये 17 जातियां आरक्षण पा सकती हैं। 

ओबीसी की इन जातियों को एससी की श्रेणी में लाने के 2005 में मुलायम सिंह यादव व फिर 2016 में अखिलेश यादव के कार्यकाल में प्रयास किए गए थे। बाद में 2019 में योगी सरकार में भी प्रयास हुए थे। तब से मामला लंबित है। यूपी पिछड़ा वर्ग मोर्चा के उपाध्यक्ष एवं प्रदेश प्रवक्ता जेपी कुशवाहा ने बताया कि कानपुर में हुई कार्यकारिणी समिति में इन मुद्दों पर सकारात्मक परिणाम निकलेंगे।

पिछड़ों को मिल सकती है मेयर सीट
नगरीय निकाय चुनाव पर पिछड़ावर्ग मोर्चा की कार्यकारिणी की बैठक में निकाय चुनाव पर भी फोकस रहा। मेयर व वार्डों पर चक्रानुक्रम आरक्षण की बात उठी। मोर्चा के उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता जयप्रकाश कुशवाहा ने बताया कि कानपुर मेयर की सीट चक्रानुक्रम आरक्षण में अबकी पिछड़ा वर्ग को मिल सकती है। बीते 1996 से यह सीट महिला और सामान्य होती रही। मोर्चा को उम्मीद है कि चक्रानुक्रम आरक्षण लागू होने पर ऐसा संभव है। कुशवाहा ने बताया कि कानपुर और आसपास के जिलों में ओबीसी वर्ग के लोग ज्यादा हैं। पिछड़ों के लिए चुनाव का रोडमैप बनाया गया। निकाय को समर्पित पिछड़ावर्ग आयोग की रिपोर्ट पर चर्चा हुई।

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