लखनऊ : "जलभराव'' के मानकों में धान के साथ डूब गए करोड़ों
तीन साल पहले प्रधानमंत्री फसल बीमा का बदला नियम किसानों पर पड़ा भारी
सबसे ज्यादा धान का हुआ बीमा, लेकिन जलभराव से बाहर
प्रशांत सक्सेना
लखनऊ, अमृत विचार। 21 जुलाई 2020 में प्रधानमंत्री फसल बीमा की बदली गाइडलाइन धान के मानकों पर खरी नहीं उतरी है। किसानों की मानें तो इस नियम से बीमा कंपनियाें ने तीन साल तक करोड़ों रुपये ठगे हैं। नई गाइडलाइन के अनुसार धान की खड़ी फसल को जलभराव जैसे नुकसान की शर्त से बाहर कर दिया गया और भूस्खलन, बादल फटना, बिजली गिरना व अग्निकांड से क्षति होने पर ही क्लेम देने का प्राविधान किया गया।
जबकि खरीफ में बारिश व जलभराव से ही नुकसान होता है। वर्ष 2022 में खरीफ की बात करें तो प्रदेश में 21.37 लाख किसानों ने फसलों का बीमा कराया था और कंपनियों ने कुल 781 करोड़ रुपये प्रीमियम वसूला था। जिसमें धान के सर्वाधिक किसान रहे। इधर, अक्टूबर में हुई सर्वाधिक बारिश से धान की फसल जलमग्न होने से बर्बाद हो गई थी और क्षतिपूर्ति के लिए बीमित किसानों ने दावे किए थे, जो कंपनियों ने 80 प्रतिशत तक निरस्त कर दिए थे। ऐसे में कुल 134 करोड़ रुपये ही 2.18 लाख किसानों को अन्य नुकसान के आधार पर क्लेम बांटा गया था। जबकि छह गुना कंपनी ने किसानों और सरकार से प्रीमियम वसूल किया था। हालांकि अभी क्लेम और देना बताया जा रहा है। इस मामले पर अधिकारी चुप्पी साधे हैं।
कंपनी की आपत्ति पर बदला था नियम
दरअसल, 2020 में प्रदेश में चार बीमा कंपनियाें को तीन साल के लिए टेंडर दिया गया था। जो 31 मार्च को खत्म हो जाएगा। इन कंपनियों की आपत्ति पर जलभराव के मानकों में बदलाव किया गया था। कंपनियों का बुंदेलखंड व कुछ जिलों बाढ़ से जलभराव होने का तर्क था और किसानों पर भी जानकर खेतों में पानी भरकर क्लेम लेने का हवाला दिया था। ऐसी स्थिति में यह नियम बदला गया, जो बारिश और ओलावृष्टि जैसी आपदा से ही बाहर हो गया।
वर्ष 2022 की स्थिति
7561.34 करोड़ रुपये का बीमा
कृषक प्रीमियम : 151.69 करोड़
राज्य अनुदान : 315.69 करोड़
केंद्र अनुदान : 314.18 करोड़
कुल प्रीमियम : 781 करोड़
वर्ष 2020 खरीफ
बीमित किसान : 22.18 लाख
कुल प्रीमियम : 839.93 करोड़
लाभान्वित किसान : 4.20 लाख
क्लेम मिला : 296.93 करोड़
वर्ष 2021 खरीफ
बीमित किसान : 21.57 लाख
कुल प्रीमियम : 785.59 करोड़
लाभान्वित किसान : 7.95 लाख
क्लेम मिला : 756.25 लाख
किसानों की जुबांनी
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पिछले वर्ष धान का बीमा कराया था। अक्टूबर में हुई बारिश से पूरी फसल खेतों पर खराब हो गई थी। क्लेम किया था, लेकिन भरपाई आज तक नहीं हुई है। -अंजनी कुमार दिवेदी, किसान, ग्राम बौऊरू मऊ, चिनहट, लखनऊ
खरीफ में धान की फसल बारिश से बर्बाद हो गई थी। केसीसीधारक हैं और यूको बैंक से बीमा कराया था, लेकिन धान का क्लेम नहीं मिला है। मानकों की जानकारी नहीं है। -लालता बख्श सिंह, ग्राम चन्दनापुर, बीकेटी, लखनऊ
खरीफ में धान मुख्य फसल है। जो केसीसी लेकर करते हैं और कंपनी के माध्यम से फसल का बीमा कराते हैं। पिछले वर्ष बारिश से फसल बर्बाद हुई थी, जिसका क्लेम नहीं मिला है।
- राम कुमार सिंह, ग्राम चन्दनापुर, बीकेटी, लखनऊ
छोटे किसान हैं। गेहूं व धान का केसीसी लेकर बीमा कराते हैं। इससे कि नुकसान के समय लागत निकल सके। धान की फसल बर्बाद हो गई थी। लेकिन किसी तरह की मदद नहीं मिली है। न ही कोई जानकारी देता है।
- मकरंद सिंह, ग्राम देवरी रुखारा, बीकेटी, लखनऊ
यह भी पढ़ें : PM Modi Varanasi Visit : प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी को दी 28 विकास परियोजनाओं की सौगात
