अब एक कॉल पर पशुओं को मिलेगा इलाज, सीएम योगी ने 520 Veterinary Unit को दिखाई हरी झंडी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को 201 करोड़ की लागत से 520 मोबाइल वेटरनरी यूनिट (Veterinary Unit) को 5 कालीदास मार्ग स्थित अपने सरकारी आवास से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इसके अलावा पशुपालकों को पशुओं की चिकित्सीय सुविधा के लिए टोल फ्री नंबर 1962 का भी शुभारंभ किया। इस दौरान कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री परशोत्तम रूपाला, केंद्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर, यूपी के पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह समेत कई अधिकारी मौजूद रहे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश के अंदर 12 लाख निराश्रित गोवंश हैं, जिनमें से 11 लाख गोवंशों की जिम्मेदारी सरकार उठा रही है। जिसमें प्रति गोवंश 900 रुपए देने का काम सरकार कर रही है। वहीं 11 लाख के करीब गोवंश का संरक्षण करके उनके बेहतर जीवन के लिए सरकार काम कर रही है। इसके अलावा सीएम योगी ने कहा कि 1962 टोल फ्री नंबर पर कॉल करके इन सेवाओं को प्राप्त किया जा सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि वेटेनरी और चिकित्सकों की कमी के कारण कई समस्याएं देखने को मिलती थी। पहले किसी जानवर का एक्सीडेंट हो जाता था या कोई जानवर बीमार हो जाता था तो उसे इलाज नहीं मिल पाता था। अब इस मोबाइल वेटरनरी यूनिट वैन से काफी राहत मिलेगी।
बता दें कि ये मोबाइल वैन ईएसवीएचडी योजना के तहत जीपीएस से लैस हैं। ‘पशु उपचार पशुपालक के द्वार’ थीम के साथ प्रदेश के सभी जिलों में पशुपालकों को मेडिकल और स्वास्थ्य से संबंधित सभी सेवाएं निशुल्क उपलब्ध कराने के लिए योगी सरकार ने यह बड़ा फैसला लिया है। इसके अलावा पूरे प्रदेश के 5 जोन में 5 ऑपरेटर द्वारा इस योजना का संचालन किया जाएगा।
साथ ही यह मोबाइल वेटनरी यूनिट की सुविधा 1962 टोल फ्री नंबर के जरिए संचालित की जाएगी। कॉल करने बाद निर्धारित स्थान पर वेटरनरी यूनिट पहुचेंगी और यह यूनिट निशुल्क होगी। यूनिट का संचालन रूट वाइस सुबह 8 बजे से 2 बजे तक और इमरजेंसी में सुबह 10 से रात 8 बजे तक होगा। बता दें कि इस योजना को लेकर निदेशालय स्तर पर एकीकृत केंद्रीय कमांड और कंट्रोल सेंटर को भी स्थापित किया गया है। प्रत्येक जिले के हिसाब से न्यूनतम दो और अधिकतम 14 मोबाइल वैन यूनिट आवंटित की जाएंगी।
यह भी पढ़ें:-अयोध्या: निगम की झोली भरी थी, फिर भी मंहगाई भत्ता देने में रही कंजूसी, क्या रोडवेज निगम कर्मियों के साथ हुआ खेल?
