NPA को काबू में रखने के लिए IIFCL ने उठाए कदमः संसदीय समिति

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Published By Om Parkash chaubey
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नई दिल्ली। संसद की एक समिति ने सरकारी कंपनी इंडिया इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (आईआईएफसीएल) की तारीफ करते हुए कहा है कि उसके कदमों से फंसे हुए कर्जों (एनपीए) का काबू में रखने में मदद मिलेगी और यह बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को वित्त मुहैया कराने में अग्रणी भूमिका निभा पाएगी।

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आईआईएफसीएल वर्ष 2006 में स्थापित एक सार्वजनिक क्षेत्र की वित्तीय संस्था है, जिसका स्वामित्व पूरी तरह से भारत सरकार के पास है। सार्वजनिक उपक्रमों पर गठित समिति (सीओपीयू) की तरफ से हाल ही में संसद में पेश की रिपोर्ट में आईआईएफसीएल के प्रदर्शन पर संतोष जताया गया है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, आईआईएफसीएल के कदमों से दीर्घावधि में इस वित्तीय संस्था की कार्यप्रणाली में सुधार और मजबूती आएगी। कंपनी ने निदेशक मंडल की तरफ से स्वीकृत प्रबंधन नीति को लागू किया है जिसमें एनपीए के समयबद्ध निपटान के लिए निर्देश एवं दिशानिर्देश तय किए गए हैं।

संसदीय समिति की रिपोर्ट कहती है, “आईआईएफसीएल के सक्रिय कदम बकाया राशि के शीघ्र समाधान/वसूली के लिए आरबीआई के निर्धारित मानदंड/दिशानिर्देशों और अन्य लागू वैधानिक/नियामक प्राधिकरणों या केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुरूप हैं।”

आईआईएफसीएल ने एक विशिष्ट वसूली एवं एनपीए प्रबंधन विभाग भी बनाया है। इस विभाग में बकाया कर्ज की वसूली एवं फंसे कर्जों के प्रबंधन में दक्षता रखने वाले अधिकारी तैनात हैं।

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