... फिर भी जिया जाएगा माला के आखिरी मनके के गिने जाने तक : ऋतु गोड़ियाल

Amrit Vichar Network
Published By Himanshu Bhakuni
On

एक दिन सब टूट जाएगा, 
सपने, दिल, रिश्ता और सबसे आख़िर में ये सांसें.
इन सब में सबसे कम दर्द जिस्म से रूह के अलग हो जाने पर होगा, 
और असहनीय पीड़ा रहेगी दिल टूटने की, 
जहां मर जाने पर भी जीने जैसा उपक्रम चलेगा. 
फिर भी जिया जाएगा माला के आखिरी मनके के गिने जाने तक. 
पर इस टूटने के उपक्रम में कभी ये माला भी अचानक तोड़ी जाएगी. 
सांसें जिस्म से खींचकर अलग कर दी जाएंगी, 
उस वक्त पीड़ा अपना आखिरी सोपान चढ़ेगी. 
सब शून्य रहेगा....जहां तुम ना रहोगे, 
मैं ना रहूंगी और ना रहेगा यह प्रेम.
यह प्रेम जो पीड़ा का कारण है, 
मेरे वजूद को धूल धूसरित करने का कारक है. 
छूट जाएगा नेह और मोह का बंध,.
बस, उस पल टूटने बिखरने से मैं मुक्त हो पाऊंगी ... 
हां, मैं तुमसे मुक्त हो जाऊंगी.

-ऋतु गोड़ियाल

संबंधित समाचार