भारत लोकतंत्र की जननी

भारत लोकतंत्र की जननी

भारत वास्तव में लोकतंत्र की जननी है, लोकतंत्र सिर्फ एक ढांचा नहीं है, यह एक भावना भी है। बुधवार को दूसरे लोकतंत्र शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत आज अनेक वैश्विक चुनौतियों के बावजूद सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। यह अपने आप में दुनिया में लोकतंत्र का सबसे अच्छा विज्ञापन है। भारत में हमारा मार्गदर्शक दर्शन सबका साथ, सबका विकास’ है - जिसका अर्थ है ‘समावेशी विकास के लिए एक साथ काम करना’।

तीन दिवसीय लोकतंत्र शिखर सम्मेलन  में 121 देश आमंत्रित किए गए हैं। सम्मेलन का उद्देश्य लोकतंत्र को अधिक जवाबदेह और लचीला बनाना तथा वैश्विक लोकतांत्रिक प्रणाली को नया रूप देने के लिए साझेदारी का वातावरण तैयार करना है। सम्मेलन में तीन बिन्दुओं पर विचार-विमर्श होगा। ये हैं- लोकतंत्र को मजबूत करना और अधिनायकवाद से बचाना, भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई तथा मानवाधिकारों के प्रति सम्मान।

सम्मेलन में चीन और रूस को आमंत्रित नहीं किया गया है, जबकि ताइवान को इसमें बुलाया गया है। इससे अमेरिका और चीन के बीच इस समय चल रहे वैचारिक संघर्ष के और तीखा रूप ले लेने का अंदेशा है। चीन का आरोप है कि इस आयोजन के जरिए अमेरिका दुनिया में विभाजन को चौड़ा कर रहा है। दुनिया भर के लोकतंत्र कई प्रमुख मापदंडों पर गंभीर संकटों से जूझ रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस बार अमेरिका के साथ चार देशों को सह-मेजबान बनाया है। दक्षिण कोरिया, जाम्बिया, कोस्टारिका और नीदरलैंड्स।

लोकतंत्र की निगरानी करने वाली संस्थाओं की रिपोर्टों के अनुसार, लोकतंत्र में खतरनाक गिरावट देखी जा रही है। लोकतंत्र ने दुनिया भर में विभिन्न रूप ले लिए हैं और ऐसे में लोकतांत्रिक प्रथाओं में कार्य प्रणाली में एकरूपता लाने की आवश्यकता है। लोकतंत्रों को संयुक्त रूप से सोशल मीडिया और क्रिप्टो से संबंधित मुद्दों से निपटना चाहिए, ताकि उनका उपयोग कमज़ोर करने के बजाय लोकतंत्र को सशक्त बनाने हेतु किया जा सके। लोकतांत्रिक प्रथाओं और प्रणालियों में लगातार सुधार करने और समावेश, पारदर्शिता, मानवीय गरिमा, उत्तरदायी शिकायत निवारण तथा सत्ता के विकेंद्रीकरण को लगातार बढ़ाने की आवश्यकता है।

डेमोक्रेसी इंडेक्स 2020 के अनुसार, विश्व की बहुत कम नौ प्रतिशत आबादी ‘पूर्ण’ लोकतंत्र में रहती है। उधर देश में भी विपक्ष लोकतंत्र के कमजोर होने के आरोप लगातार लगा रहा है। सरकार को आलोचना को सिरे से खारिज करने के बजाय सुनना चाहिए। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जिसकी लोकतांत्रिक परंपराएं ढाई हजार साल पुरानी हैं। 1947 में स्वतंत्रता के बाद एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बन गया। डिजिटल समाधानों के माध्यम से भारत लोकतांत्रिक अनुभव को साझा कर सकता है।