अयोध्या : हाइड्रोसेफलस नामक बीमारी से ग्रसित बच्ची का हुआ सफल आपरेशन 

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Published By Virendra Pandey
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मसौधा ब्लाक क्षेत्र के अब्बूसराय की है निवासी, दिसंबर में जिला महिला अस्पताल में हुआ था जन्म 

अयोध्या, अमृत विचार। जनपद के कैंट थाना क्षेत्र स्थित अब्बू सराय मोहल्ला निवासी चार माह की बच्ची को नया जीवन मिला है। डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल लखनऊ के विशेषज्ञों ने उसका सफल आपरेशन किया है। यह सब हो पाया राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत। सफल आपरेशन के बाद जन्मजात हाइड्रोसेफलस नामक बीमारी से ग्रसित बच्ची के अभिभावक खुश हैं। साथ ही बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम से जुड़े अधिकारियों ने हर्ष जताया है।  
बताया गया कि दिसंबर माह में अब्बूसराय निवासी मुबीन अहमद के यहां जिला महिला अस्पताल में एक पुत्री का जन्म हुआ। बच्ची के जन्म के बाद चिकित्स्कों ने उसके हावभाव और शरीर की बनावट का परीक्षण किया तो पता चला कि नवजात बच्ची का सर अपेक्षाकृत बड़ा है, इसके बाद डाक्टरों ने हायर सेंटर में बच्ची का परीक्षण कराने का सुझाव दिया। परिवार ने उसका डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल लखनऊ में परीक्षण कराया तो पता चला कि बच्ची हाइड्रोसेफलस नामक बीमारी से ग्रसित है। परिवार ने उपचार का खर्चा पूंछा तो पता चला कि इसके आपरेशन-उपचार आदि में डेढ़ से ढाई लाख रूपये का खर्चा आ सकता है। परिवार ने अपनी आर्थिक हालत का हवाला दिया तो चिकित्सक ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत निशुल्क उपचार के लिए अपने जिले में संपर्क की बात कही।  

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के प्रबंधक डा हम्माद का कहना कि परिवार ने आरबीएसके की सीएचसी मसौधा टीम से सम्पर्क किया तो मामले की जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अजय राजा को दी गई और तत्काल बच्ची को आपरेशन और उपचार के लिए राम मनोहर लोहिया अस्पताल लखनऊ भेजवाया गया। जहां चिकित्सकों ने मंगलवार को सफल आपरेशन कर बच्ची के दिमाग से द्रव्य निकल दिया। उनका कहना है कि किसी भी प्रकार की जन्मजात विकृति दिखाई पड़ने पर अपने नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर तैनात राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम के साथ-साथ अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक से सपर्क कर इस सुविधा का लाभ हासिल कर सकता है।  

क्या है हाइड्रोसेफलस अर्थात जलशीर्ष 

इस बीमारी से पीड़ित के दिमाग की गहराई के छेदों में तरल पदार्थ जमा हो जाता है। मस्तिष्क की कैविटीज में तरल पदार्थ भरने के चलते अतिरिक्त तरल पदार्थ वेंट्रिकल्स के आकार को बढ़ा देता है और मस्तिष्क पर दबाव डालता है। द्रव्य जब अधिक प्रेशर के साथ बहता है तो ये ब्रेन के टिशू को डैमेज करता है। यह बीमारी बच्चों और बुजुर्गों में ज्यादा देखी जाती है। ज़्यादा पानी दिमाग पर असर करता है और उसे नुकसान पहुंचा सकता है। नवजात शिशु का सिर बड़ा होना दिमाग में पानी भरने का आम लक्षण है। इसके प्रभाव से थोड़े बड़े बच्चों और बड़ों को सिर दर्द, नज़र का धुंधलापन, बुद्धि-सम्बन्धी मुश्किल,तालमेल करने में मुश्किल और बार-बार पेशाब की शिकायत पेश आती है। इलाज के लिए अक्सर ऑपरेशन करके एक ट्यूब (शंट) निलय में डाली जाती है जिससे अतिरिक्त तरल पदार्थ बहार निकाल दिया जाता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक (एनआईएनडीएस) का अनुमान है कि प्रत्येक 1,000 शिशुओं में से 1 से 2 बच्चे हाइड्रोसेफलस के साथ पैदा होते हैं।

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