Avalanche Uttarakhand: ग्लेशियर खिसक के गोरी नदी में गिरने से जनजीवन पर मंडरा रहा खतरा
पिथौरागढ़, अमृत विचार। उच्च हिमालय में आए दिन हिमपात जारी है। मुनस्यारी के उच्च हिमालयी जोहार घाटी में एवलांच आने से छिरकानी ग्लेशियर खिसक कर गोरी नदी तक पहुंच चुका है। मिलम जाने वाला पैदल मार्ग पर ग्लेशियर आ जाने से मार्ग बंद हो गया है। उच्च हिमालयी गांवों को माइग्रेशन को जाने वाले 250 के आसपास परिवार प्रभावित हैं। छिरकानी में जान हथेली पर रखकर ग्रामीण और जानवर चल रहे हैं। प्रतिपल खतरा बना हुआ है।
मुनस्यारी के मल्ला जोहार के गांवों का माइग्रेशन प्रारंभ हो चुका है। वहीं कीड़ा-जड़ी दोहन के लिए भी लोग उच्च हिमालय की तरफ जाने की तैयारी कर चुके हैं। माइग्रेशन के लिए मुनस्यारी सहित आसपास के गांवों के ग्रामीण मय परिवार, जानवरों, राशन सहित अन्य सामान के साथ प्रस्थान कर चुके हैं। इस बीच लगातार हिमपात होने से बर्फ ने माइग्रेशन की राह रोक दी है। मुनस्यारी से लगभग 25 से 30 किमी की दूरी पर स्थित छिरकानी में एवलांच (बर्फिला तूफान) आने से छिरकानी ग्लेशियर खिसक कर गोरी नदी तक आ चुका है। शीतकाल में गोरी नदी तक ग्लेशियर बना रहता है। तब लोग ग्लेशियर पर ही चल कर आवाजाही करते हैं।
इधर अब एवलांच के चलते ग्लेशियर खिसक तक फिर नदी तक पहुंच चुका है और पैदल मार्ग बर्फ से ढक चुका है। जिसमें आवाजाही करना कठिन हो चुका है। माइग्रेशन में जाने वाले ग्रामीण अपने जानवरों घोड़े-खच्चरों,भेड़-बकरियों की पीठ पर लाद कर खाद्यान्न व अन्य घरेलू सामान ले जाते हैं। मुनस्यारी मिलम मोटर मार्ग अभी तैयार नहीं होने से ग्रामीणों को पैदल मार्ग से ही माइग्रेशन करना पड़ रहा है। जिस स्थान पर ग्लेशियर खिसका है वहां पर पैदल मार्ग नदी के किनारे है और यहां पर सड़क बन चुकी है। सड़क पैदल मार्ग से काफी अधिक ऊंचाई पर है। खड़े पहाड़ में पैदल मार्ग से सड़क तक पहुंचने के लिए कोई संपर्क मार्ग नहीं है। जिसके चलते ग्रामीण रास्ते में फंसे हैं।
चीन सीमा से लगे उच्च हिमालयी 13 गांवों लास्पा, रिलकोट, टोला, मर्तोली, बिल्जू, बुर्फु, पांछू, गनघर, मिलम, ल्वा, खैलांच, बुगडियार के 250 परिवार माइग्रेशन कर रहे हैं। ग्रामीणों को अपने उच्च हिमालयी गांवों में पहुंच कर खेती करनी होती है। इस सीजन में बोई जाने वाली उच्च हिमालयी फसलों के बोने का समय आ चुका है। ग्रामीणों के समय पर नहीं पहुंचने से कृषि प्रभावित होने के आसार बने हैं। जोहार घाटी के लिए निर्माणाधीन सड़क का कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है। क्षेत्र तक खाद्यान्न भी पैदल मार्ग से पहुंचाया जाता है। मार्ग के बाधित होने से ग्रामीणों के पहुंचने से पूर्व खाद्यान्न पहुंचना भी कठिन लग रहा है।
माइग्रेशन के अलावा अब कीड़ा जड़ी (यारसा गंबू) दोहन के लिए भी ग्रामीण तैयार हैं। मई प्रथम सप्ताह में ग्रामीण दोहन के लिए जाने की तैयारी कर चुके हैं। तब तक बर्फ नहीं हटने पर उनके भी फंसने के आसार हैं। मल्ला जोहार विकास समिति के अध्यक्ष श्रीराम धर्मशक्तू ने इस संबंध में जिलाधिकारी और लोनिवि को पत्र भेज कर शीघ्र मार्ग खोलने की मांग की है। मार्ग खोलने के लिए भेजी गई ठेकेदार की दो टीमें और लोनिवि के बेलदार लाचार हो चुके हैं। सुबह मौसम साफ मिलता है, कुछ बर्फ हटाई जाती है अपराह्न के बाद फिर हिमपात होता है और हिमस्खलन से स्थिति पूर्ववत हो जा रही है।
