बरेली: अभिभावक ही बन गए बच्चों के भविष्य के दुश्मन, नहीं भेज रहे स्कूल

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Published By Om Parkash chaubey
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प्रशांत पांडेय, बरेली, अमृत विचार : बच्चों को आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन अभिभावक मझगवां विकास खंड के मानपुर स्थित प्राथमिक स्कूल में बच्चों को नहीं भेज रहे हैं। छह दिन से स्कूल में बच्चों के नहीं आने से शिक्षक ही नहीं अधिकारी भी चिंतित हैं। इससे बच्चों के भविष्य पर बुरा असर पड़ेगा।

मंगलवार को अमृत विचार ने मानपुर गांव जाकर बच्चों के स्कूल नहीं जाने के संबंध में अलग-अलग लोगों से बात की। तब यह बात सामने आई कि अभिभावक कुछ लोगों के दबाव में आकर बच्चों को स्कूल नहीं भेज पा रहे हैं। कई अभिभावकों के मुताबिक वे बच्चों को भेजना तो चाहते हैं, लेकिन गांव के कई लोग बच्चों को भेजने से मना कर दे रहे हैं। स्कूल में करीब 95 बच्चे पंजीकृत हैं। मंगलवार को एक बच्चा स्कूल में पढ़ने के लिए पहुंचा।

शिक्षकों के आपसी विवाद से नाराज हैं अभिभावक: बीते दिनों स्कूल के प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापिका के बीच कक्षा आवंटन को लेकर विवाद हो गया था। ग्रामिणों ने बीच बचाव कर मामला शांत कराया था। इसके बाद शिकायत पर हुई विभागीय जांच में प्रधानाध्यापक पर कई गंभीर वित्तीय अनियमितता और राज्य स्तर पर मंडल में विजेता बच्चों को खेलकूद प्रतियोगिता में प्रतिभाग नहीं कराने सहित कई मामलों में दोषी पाए जाने पर उन्हें तत्काल निलंबित कर दिया गया।

विशाल अकेला था, इसलिए पढ़ाई में नहीं लगा मन: करीब 6 दिन बाद कक्षा दो का सिर्फ छात्र विशाल स्कूल में पढ़ने पहुंचा था। कई दिन बाद स्कूल पहुंच कर वह बेहद उत्साहित था। हालांकि साथियों के बिना विशाल का मन नहीं लगा और करीब 2- 3 घंटे तक पढ़ाई कर घर चला गया।

बोले छात्र-छात्राएं:

- स्कूल में कोई बच्चा नहीं जा रहा है, इसलिए स्कूल नहीं जा रहे हैं।- श्रवण, छात्र

- बहुत अच्छी पढ़ाई होती है, लेकिन बाकी बच्चे बताते हैं कि स्कूल में छुट्टियां पड़ गई हैं।-सतीश , छात्र

- स्कूल जाते हैं तो गांव के लोग मना कर देते हैं, इसलिए विद्यालय नहीं जाते हैं।- प्रशांत, छात्र

- स्कूल जाने के लिए कोई कहता ही नहीं, पढ़ाई बहुत अच्छी लगती है।- अंजली, छात्रा

क्या कहते हैं बच्चों के अभिभावक

- बच्चे कहते हैं कि छुट्टी है, इसलिए नहीं भेज रहे हैं। स्कूल में शिक्षकों के बीच झगड़ा भी हुआ था। वहां का माहौल ठीक नहीं।- सुरेश, अभिभावक

- मेरे बच्चे पढ़े या नहीं, लेकिन बच्चों को इस स्कूल में नहीं भेजूंगा।- विपिन, अभिभावक

- बच्चे स्कूल जाते ही नहीं, कहते हैं कि खाना नहीं मिलता। बच्चे जाना चाहे तो स्कूल जाएं ।- - - मुन्नी देवी, अभिभावक

माहौल बिगाड़ने के पीछे कहीं ग्राम प्रधान पति तो नहीं: स्कूल में मिड डे मिल की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान की होती है, इसकी जानकारी प्रधान पति सत्यपाल को नहीं है, जो प्रधान पत्नी का कामकाज देखते हैं। मंगलवार को प्रधान पति से बात हुई तो उन्होंने बताया कि आज तक उन्हें पता ही नहीं कि मिड डे मिल की जिम्मेदारी प्रधान की होती है।

स्कूल का शैक्षिक माहौल खराब करने के पीछे निलंबित प्रधानाध्यापक और प्रधान पति का हाथ होने की आशंका जताई जा रही है। बीते दिनों जिलाधिकारी के निर्देश पर उक्त मामले की जांच के लिए स्कूल में एसडीएम आंवला, बीएसए और खंड शिक्षा अधिकारी पहुंचे थे। तब से लगातार प्रधान पति आरोपी प्रधानाध्यापक को बचाने की सिफारिश अधिकारियों से करते रहे। सूत्रों के मुताबिक दोनों की साठगांठ से स्कूल में शैक्षिक वातावरण खराब करने की कोशिश की जा रही है।

स्कूल में प्रधानाध्यापक सहित कुल 5 शिक्षक नियुक्त हैं, जो सर्वेक्षण के साथ अभिभावक और बच्चों को जागरूक करने में जुटे हैं। स्कूल का माहौल लगातार खराब कराने का प्रयास किया जा रहा है। इसके पीछे कई अराजक तत्व भी हैं, जो स्कूल की छवि खराब कर रहे हैं।- पूजा शुक्ला, प्रभारी प्रधानाध्यापक

किसी भी दशा में स्कूल में शैक्षिक माहौल खराब नहीं होने दिया जाएगा, जो लोग बच्चों को स्कूल आने से रोक रहे हैं, उन्हें चिन्हित किया जाएगा। जल्द इस दिशा में कठोर कदम उठाया जाएगा।- विनय कुमार, बीएसए

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