रायबरेली : 40 बटुकों का हुआ सामूहिक उपनयन संस्कार, गायत्री मंत्र की ली दीक्षा
अमृत विचार, रायबरेली । बुधवार को तिवारीपुर कलां गांव स्थित बड़ी मंदिर प्रांगण ( स्वामी जी आश्रम ) में सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न स्थानों से पहुंचे 40 बटुकों का सामूहिक यज्ञोपवित उपनयन संस्कार संपन्न हुआ। वैदिक मंत्रोच्चार व अनुष्ठान के संपन्न होने के साथ 40 बटुकों को यज्ञोपवीत संस्कार के तहत जनेऊ धारण कराया गया।
यज्ञोपवीत संस्कार से पूर्व बटुकों का मुंडन करवाया गया। बाद में विधि-विधान से भगवान गणेश सहित देवताओं का पूजन, यज्ञवेदी एवं बटुकों को अधोवस्त्र के साथ माला पहनाकर बैठाया गया। इसके बाद विनियोग मंत्र ब्रह्मचर्य के पालन की शिक्षा के साथ विभिन्न धार्मिक आयोजन संपन्न हुए। गायत्री मंत्र की दीक्षा देने के बाद बटुकों ने भिक्षा लेकर गुरु को अर्पण की। इसके बाद गुरु ने उनके कानों में गुरु मंत्र दिया। वैदिक धर्म में यज्ञोपवीत दशम संस्कार है। इस संस्कार में बटुक को गायत्री मंत्र की दीक्षा दी जाती है और यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है।
यज्ञोपवीत का अर्थ है यज्ञ के समीप या गुरु के समीप आना यज्ञोपवीत एक तरह से बालक को यज्ञ करने का अधिकार देता है। शिक्षा ग्रहण करने के पहले यानी, गुरु के आश्रम में भेजने से पहले बच्चे का यज्ञोपवीत किया जाता था। भगवान रामचंद्र तथा कृष्ण का भी गुरुकुल भेजने से पहले यज्ञोपवीत संस्कार हुआ था। 40 बटुकों के यज्ञोपवीत संस्कार के लिए 11 पंडितों की व्यवस्था थी। कार्यक्रमों में सभी ब्राह्मणों का उत्साह देखते ही बनता था भारी गर्मी के बीच जहां हर किसी के पसीने छूट रहे थे वहीं मंत्रोच्चार द्वारा बड़ी मंदिर प्रांगण का माहौल भक्ति मय बना हुआ था उल्लेखनीय है कि बीती 3 मई से श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया था, जिसका समापन मंगलवार 9 मई को हुआ। क्षेत्रीयजनों ने श्री श्री 1008 श्री आत्मानंद जी महाराज के श्री मुख से श्रीमद्भागवत कथा का रसास्वादन किया। यज्ञोपवीत संस्कार के बाद विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों भक्तों ने भण्डारे का प्रसाद ग्रहण किया।
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