चेतावनी संदेश

चेतावनी संदेश

जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि बड़ा खतरा बन गई है। तापमान में वृद्धि से न केवल इंसान बल्कि अन्य जीव भी बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। जलवायु परिवर्तन का कारण भयंकर उत्सर्जन है। इसके दुष्प्रभावों को पूरी दुनिया में महसूस किया जा रहा है।  इन दुष्प्रभावों से तापमान बढ़ेगा और एक समय ऐसा आएगा, जब वह ऊंचे स्तर पर जा पहुंचेगा।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने पिछले दिनों जारी एक रिपोर्ट में आशंका जताई कि  2023 से 2027 के बीच वैश्विक तापमान में  वृद्धि रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाएगी। इन पांच वर्षों के दौरान वैश्विक तापमान में वृद्धि औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर जाएगी।

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए बनाए गए अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) का कहना है कि यदि तापमान वृद्धि 1.5 डिग्री सैल्सियस की सीमा को पार कर जाती है तो जलवायु संबधी जोखिम अब की तुलना में कहीं ज्यादा होंगे। वैश्विक तापमान में वृद्धि के अलावा मानवीय कार्रवाई से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, महासागरीय तापन और अम्लीकरण, समुद्री बर्फ व हिमनदों के पिघलने, समुद्री स्तर में वृद्धि और अधिक चरम मौसम की घटनाओं का कारण बन रहा है। मौसम संगठन का कहना है कि स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, जल प्रबंधन और पर्यावरण पर इसके दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे और हमें तैयार रहने की जरूरत है।

डब्ल्यूएमओ की रिपोर्ट 22 मई से 2 जून के बीच होने वाली विश्व मौसम विज्ञान कांग्रेस से ठीक पहले जारी की गई है। कांग्रेस में जलवायु परिवर्तन अनुकूलन में मदद के लिए, मौसम और जलवायु सेवाओं को मजबूत करने के बारे में चर्चा की जाएगी। जलवायु अनुकूलन का विज्ञान इस बात को मानता है कि समानता और जलवायु न्याय का बहुत महत्व है। भारत ने हमेशा इस दिशा में प्रयास किया है और वह पेरिस समझौते को वजूद में लाया है।

रिपोर्ट दुनिया के लिए चेतावनी का संदेश है कि वे गैर-टिकाऊ उत्पादन और खपत को छोड़ दें तथा तेजी से जलवायु अनुकूल विकास की तरफ आगे बढ़ें। जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन के लिए स्वदेशी और स्थानीय ज्ञान का बहुत महत्व है। विकसित देशों को अनुकूलन, हानि और क्षति के वित्तपोषण तथा उन्हें तुरंत कम करने की दिशा में नेतृत्व करना चाहिए। विकसित देशों को चाहिए कि वे अपना उत्सर्जन कम करें तथा 2050 तक उसे शून्य स्तर तक ले आएं। जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक सामूहिक समस्या है जिसे केवल अंतर्राष्ट्रीय सहयोग तथा बहुपक्षीय आधार पर ही हल किया जा सकता है।