मुरादाबाद : अभियानों पर उठे सवाल, कुपोषण के विरुद्ध जंग बेजान
2019-20 से लेकर 2022-23 तक चार वित्तीय वर्ष में हर साल बढ़ी सैम बच्चों की संख्या
(धर्मेंद्र सिंह) मुरादाबाद, अमृत विचार। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा हर साल करोड़ों रुपये खर्च कर अनुपूरक पोषाहार, स्वास्थ्य प्रतिरक्षण (टीकाकरण), स्वास्थ्य जांच, पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा, स्कूल पूर्व शिक्षा प्रदान कर कुपोषण का दंश मिटाया जा रहा है। मगर कई वर्षों के बाद भी कुपोषण कम होने की बजाय बढ़ता जा रहा है। जिले में पिछले चार वित्तीय वर्ष में सैम (अतिकुपोषित), मैम (कुपोषित) बच्चों की बढ़ती संख्या सिस्टम पर सवाल खड़ा कर रही है।
बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से आंगनबाड़ी, मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों पर छह माह से लेकर छह वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती, धात्री माताओं, अति कम वजन के बच्चों को प्रतिदिन पूरक पोषण आहार देने का नियम है। लेकिन, सिस्टम की ढिलाई से पिछले चार वित्तीय वर्ष में सैम-मैम बच्चों की बढ़ रही संख्या चिंता में डालती है। बात करें वित्तीय वर्ष 2022-23 की तो इसमें कुल 2,25,880 बच्चों में से 10,326 सैम (अतिकुपोषित) और 28,911 मैम (कुपोषित) चिह्नित हुए। वह भी तब जब विभाग के अधिकारियों का दावा है कि नियमित रूप से पोषणयुक्त आहार और अन्य सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
फिर सवाल उठता है कि यदि सब कुछ नियमानुसार किया जा रहा है तो कुपोषण के बढ़ने की वजह क्या है, इसमें आ रही अड़चन को दूर क्यों नहीं किया जा रहा है। विभागीय दावों काे किसी कार्यक्रम से गिनाने के लिए आंकड़ों में जितनी जोड़ताेड़ की जाती है यदि उतनी कुपोषित बच्चों को पोषाहार वितरण करने में मेहनत की जाए तो कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों की संख्या कम होने में संशय नहीं रहेगा।
आंगनबाड़ी केंद्र पर कार्यकत्री और सहायिका केंद्र के निरीक्षण के वक्त ही दिखाई पड़ती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर पुष्टाहार वितरित न होने की शिकायतें रहती हैं। सुपरवाइजर भी केंद्रों के निरीक्षण की औपचारिकता पूरी करती हैं। सीडीपीओ आंगनबाड़ी को पुष्टाहार वितरण करने तक अपने कार्य को सीमित कर लेती हैं।

कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों की संख्या 2021-22 और 2022-23 में संख्या बढ़ी है। लेकिन, कुपोषित बच्चों को पोषाहार देने में कोई कोताही नहीं बरती जा रही है।आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्यकत्री और सहायिका जमीनी स्तर पर काम रही हैं। इसमें अन्य सामाजिक संगठनों का भी सहयोग लिया जा रहा है। जल्द ही कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों की संख्या में सुधार लाया जाएगा। - अनुपमा शांडिल्य, जिला कार्यक्रम अधिकारी
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