बरेली: पॉली हाउस...50 फीसदी अनुदान, फिर भी दिलचस्पी नहीं ले रहे किसान

चार सालों में सिर्फ पांच किसानों ने लगाए पॉली हाउस, दो साल से नहीं आया कोई आवेदन

बरेली: पॉली हाउस...50 फीसदी अनुदान, फिर भी दिलचस्पी नहीं ले रहे किसान

बरेली, अमृत विचार। अफसरों की कोशिशों के बाद भी उद्यान विभाग की पॉली हाउस योजना जहां की तहां अटकी हुई है। सरकार की ओर से 50 फीसदी अनुदान दिए जाने के बावजूद किसान इस योजना में दिलचस्पी नहीं ले रहे। हालत यह है कि पिछले चार साल में सिर्फ पांच लोगों ने इस योजना के तहत पॉली हाउस लगाए हैं। दो सालों से इस योजना के तहत एक आवेदन तक नहीं हुआ है।

पॉली हाउस लगाने में किसानों के दिलचस्पी न लेने की एक वजह इस प्रोजेक्ट की 35 लाख रुपये की बड़ी लागत मानी जा रही है। उद्यान विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पॉली हाउस का निर्माण किसी भी मौसम और परिस्थितियों में फल-सब्जियों को उगाने के लिए किया जाता है। यानी पॉली हाउस में सर्दी की फल-सब्जी गर्मी और गर्मी की फल-सब्जियां सर्दी में भी उगाई जा सकती हैं। एक एकड़ में उन्नत किस्म का पॉली हाउस बनाने में 35 लाख रुपये का खर्च आता है।

योजना के मुताबिक यह धनराशि किसान को पहले खुद लगानी पड़ती है। सरकार बाद में उसके खाते में अनुदान राशि भेजती है। पॉली हाउस में मुख्य रूप से मशरूम, शिमला मिर्च के अलावा गुलाब, गेंदा जैसे का फूल भी उगा सकते हैं। पॉली हाउस को पॉलिथीन, मेट आदि से धूप और बाहरी मौसम से संरक्षित किया जाता है। ड्रिप पद्धति से सिंचाई कर तापमान और आर्द्रता नियंत्रित की जाती है ताकि फसल का बेहतर उत्पादन हो सके।

बैंक से लोन न मिलने की समस्या
पॉली हाउस का निर्माण वैसे तो मध्यम वर्ग का किसान भी करा सकते हैं, लेकिन बैंक उन्हें आसानी से लोन नहीं देता। किसानों का कहना है कि लोन लेने के लिए उन्हें तमाम झंझटों से गुजरना पड़ता है। इस समय हाफिजगंज के ग्रेम, फरीदपुर के जेड, भोजीपुरा के अभयपुर, सेमीखेड़ा और मझगवां में पॉली हाउस लगे हैं।

दो साल से पॉली हाउस के लिए किसी किसान ने आवेदन नहीं किया। कोई आवेदन आने पर उसे मंजूरी के लिए शासन को भेजा जाता है। पॉली हाउस के निर्माण के बाद अनुदान की राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में भेजी जाती है--- पुनीत पाठक, जिला उद्यान अधिकारी।

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