हिंसा प्रभावित मणिपुर में आवश्यक वस्तुओं के दामों में बेतहाशा वृद्धि 

हिंसा प्रभावित मणिपुर में आवश्यक वस्तुओं के दामों में बेतहाशा वृद्धि 

इंफाल। मणिपुर में तीन सप्ताह पहले जातीय हिंसा शुरू होने के बाद से आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं। राज्य में बाहर से आने वाले उत्पादों की आमद प्रभावित हुई है और कई वस्तुओं को सामान्य कीमत से दोगुनी कीमत पर बेचा जा रहा है।

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चारों तरफ से भूमि से घिरे इस पूर्वोत्तर राज्य के अधिकांश हिस्सों में चावल, आलू, प्याज और अंडे के अलावा एलपीजी सिलेंडर और पेट्रोल सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य से कहीं ऊंची कीमतों पर बेचे जा रहे हैं। इंफाल वेस्ट जिले में सरकारी शिक्षक मांगलेम्बी चानम ने कहा, “पहले सुपरफाइन चावल की बोरी की कीमत 900 रुपये थी, लेकिन अब यह बढ़कर 1,800 रुपये हो गई है। आलू और प्याज के दाम भी 20 रुपये से 30 रुपये तक बढ़े।

सामान्य तौर पर, बाहर से लाई गई सभी आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ गए हैं।” उन्होंने कहा कि एलपीजी सिलेंडर काला बाजार में 1,800 रुपये में बेचा जा रहा है, जबकि इंफाल पश्चिम जिले के कई हिस्सों में एक लीटर पेट्रोल 170 रुपये में मिल रहा है। चानम ने कहा, “अंडों की कीमतों में भी वृद्धि हुई है, 30 अंडों वाले एक ट्रे की कीमत सामान्य 180 रुपये के बजाय 300 रुपये हो गई है।

यदि सुरक्षा बल आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले ट्रकों की निगरानी नहीं करते तो कीमतों में वृद्धि कहीं और ज्यादा होगी। सुरक्षा बलों के आने से पहले आलू की कीमत भी 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई थी।” मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग के खिलाफ तीन मई को ‘जनजातीय एकजुटता मार्च’ के दौरान हुई हिंसा के बाद इंफाल घाटी में ट्रकों की आवाजाही रुकी हुई थी।

एक रक्षा अधिकारी ने कहा, “नतीजतन, राज्य में आवश्यक वस्तुओं का भंडार कम हो गया और गंभीर स्तर तक पहुंचने लगा, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय राजमार्ग-37 के माध्यम से आवाजाही की योजना बनाई गई।” प्रवक्ता ने कहा कि 15 मई से राजमार्ग के जरिये ट्रकों की आवाजाही शुरू हुई और सुरक्षा बल सामान्य स्थिति की बहाली के लिये पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।

तामेंगलॉन्ग जिला मुख्यालय में किराने की दुकान व भोजनालय चलाने वाली 41 वर्षीय रेबेका गंगमेई ने कहा, “आवश्यक वस्तुओं की कीमतों, विशेष रूप से चावल के दामों में भारी वृद्धि देखी गई, हालांकि हमारे जिले में हिंसा की वारदात नहीं हुई है। केवल मांस की कीमतों में ज्यादा बदलाव नहीं देखा गया है क्योंकि इसे बाहर से नहीं मंगाया जाता है और स्थानीय लोगों से लिया जाता है।” 

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