बरेली: ऐसे होती है लोकसेवा..! अफसर एसी की हवा खाएं, मरीज पसीने में नहाएं

जिला अस्पताल की ओपीडी में रोज आने वाले हजारों मरीजों की भीड़ के लिए लगे हैं सिर्फ चार पंखे

बरेली: ऐसे होती है लोकसेवा..! अफसर एसी की हवा खाएं, मरीज पसीने में नहाएं

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बरेली, अमृत विचार। कहने को सारे अफसर और कर्मचारी लोकसेवक हैं लेकिन जिला अस्पताल में सेवक तो अपने कमरे में आराम से बैठकर एसी की हवा खाते हैं और लोक दुश्वारियां झेलता है। ओपीडी में रोज जुटने वाली हजारों मरीजों की भीड़ के लिए सिर्फ चार पंखे हैं। पसीने से तरबतर होकर मरीज अपना नंबर आने तक भीषण गर्मी में धक्कामुक्की झेलते रहते हैं।

जिला अस्पताल में रोज औसतन दो से ढाई हजार तक मरीज आते हैं। जिले भर से आने वाले इन मरीजों को डॉक्टरों की कमी की वजह से लाइन में लगकर नंबर आने का घंटों इंतजार करना पड़ता है। अक्सर डॉक्टर देरी से आते हैं या फिर आते ही नहीं हैं, ऐसे में मरीजों का इंतजार और लंबा खिंच जाता है जो इन दिनों भीषण गर्मी में उन पर और ज्यादा भारी पड़ रहा है। इसके बावजूद ओपीडी परिसर में सिर्फ चार पंखे लगे हैं और अफसरों का पर्याप्त पंखे लगवाने की ओर कोई ध्यान भी नहीं है।

सोमवार को जिला अस्पताल की ओपीडी में भीड़ कुछ ज्यादा ही थी, लिहाजा अपना नंबर आने का इंतजार कर रहे मरीज गर्मी की वजह से बेहाल नजर आए। जिला अस्पताल के अलावा तीन सौ बेड अस्पताल में भी लगभग यही स्थिति है। हालांकि यहां जिला अस्पताल की तुलना में पंखों का संख्या कुछ ज्यादा है लेकिन फिर मरीजों को दिक्कत झेलनी पड़ती है।

पर्चा बनवाने से लेकर डॉक्टर को दिखाकर दवा लेने तक दुर्दशा
जिला अस्पताल में ओपीडी सुबह आठ बजे शुरू होती है। मरीजों को सबसे पहले पर्चा बनवाने के लिए लाइन में लगना पड़ता है। पर्चा बनने में ही औसतन करीब आधा घंटा लगता है, इसके बाद ओपीडी की लाइन में भी एक से दो घंटे का समय लगना लाजमी है। इसके बाद दवा काउंटर पर दवा लेने के लिए भी घंटों जूझना पड़ता है। इन तीनों जगह वे गर्मी से बेहाल रहते हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत उन बुजुर्ग मरीजों को होती है जो अकेले यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं।

जूझते दिव्यांगों को देखकर भी नहीं पसीजता दिल
सीएमओ कार्यालय स्थित दिव्यांग जन कार्यालय में प्रमाण पत्र बनवाने के लिए हर सोमवार को बड़ी संख्या में पहुंचने वाले दिव्यांगों को भी यहां धक्के खाने पड़ते हैं लेकिन फिर भी अफसर इसकी अनदेखी कर देते हैं। अच्छी-खासी गर्मी होने के बावजूद इस कार्यालय में न दिव्यांगों के लिए बैठने के लिए कोई इंतजाम है और न पीने के पानी की कोई व्यवस्था। अक्सर दिव्यांग लोगों के पूरे-पूरे दिन इंतजार करने के बावजूद उनके प्रमाणपत्र भी नहीं बन पाते और उन्हें कई-कई चक्कर लगाने पड़ते हैं।

दिव्यांगों से बात
पिछले तीन सोमवार से यहां लगातार चक्कर लगा रहे हैं लेकिन अब तक प्रमाण पत्र नहीं बन पाया है। बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है, इंतजार करने में भी काफी परेशानी होती है--- राजेश, बहेड़ी।

हम सुबह ही यहां आ गए थे, अब दोपहर हो गई है। यहां कोई ठीक से बात तक नहीं करता है। चक्कर लगा-लगाकर थक गए हैं। देहात से यहां आने में काफी परेशानी होती है--- वेदवती, बहेड़ी।

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