अवधेश राय हत्याकांड : मूल दस्तावेज के बिना लड़ा गया केस, वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश हुआ मुख्तार
वाराणसी, अमृत विचार। चेतगंज थाना क्षेत्र में बहुचर्चित अवधेश राय हत्याकांड में 31 साल 10 माह बाद माफिया सरगना मुख्तार अंसारी को उसके गुनाहों की सजा मिली। एमपी/एमएलए कोर्ट ने दोषी करार देते हुए उसे उम्रकैद की सजा सनाई है। इसके साथ ही एक लाख रूपये का जुर्माना लगाया है। मुख्तार को सजा सुनाते ही करीब 32 साल में भाई की हत्या का मुकदमा लड़ रहे पूर्व मंत्री अजय राय और उनके समर्थकों ने खुशी जाहिर की। उधर, मुख्तार अंसारी फैसले के वक्त वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुआ। सजा का एलान होते ही उसके चेहरे पर गहरी मायूसी दिखी।
मुख्तार के खिलाफ फैसले की इस घड़ी का लोगों को इंतजार था। सोमवार को सुबह से ही कचहरी में गहमागहमी बनी थी। मुकदमे के वादी व पूर्व मंत्री अजय राय अपने समर्थकों के साथ कचहरी में डटे थे। देशभर की मीडिया जुटी रही और पल-पल की रिपोर्ट आती रही। पूर्व विधायक मुख्तार के खिलाफ 1991 में दर्ज मुकदमे की सुनवाई पहले प्रयागराज और फिर 2020 से वाराणसी एमपी/एमएलए कोर्ट में चल रही है। इस मुकदमे को हाईकोर्ट ने 2020 में प्रयागराज से वाराणसी एमपी/एमएलए कोर्ट में स्थानांतरित किया। मुख्तार के खिलाफ अवधेश राय हत्याकांड यूपी का ऐसा पहला मुकदमा है जिसमें मूल दस्तावेज के बिना पूरे केस की सुनवाई पूरी हुई। अदालत में मूल दस्तावेज की कॉपी को आधार मानकर मुकदमें में गवाह, जिरह, साक्ष्य और बहस की कार्रवाई हुई।
अधिवक्ताओं के मुताबिक यूपी में यह पहला मुकदमा होगा जो किसी अदालत में बिना मूल दस्तावेज के लड़ा गया है। लहुराबीर में 3 अगस्त 1991 को अवधेश राय की उनके घर के बाहर ही ताबड़तोड़ फायरिंग कर हथियारबंद अपराधियों अवधेश को मौत के घाट उतार दिया था। वारदात के वक्त छोटे भाई अजय राय वहीं थे। जिस जगह अवधेश राय की हत्या हुई उससे चंद कदम की दूरी पर ही चेतगंज थाना है। इस हत्याकांड से शहर में सनसनी फैल गई थी। इस मामले में अजय राय की तरफ से मुख्तार अंसारी, पूर्व विधायक अब्दुल कलाम (अब जीवित नही), भीम सिंह, कमलेश सिंह और राकेश न्यायिक के खिलाफ नामजद व अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था।
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