लखनऊ : जिले का 14.74 प्रतिशत बढ़ा ऋण जमा अनुपात, डीएम ने 30 प्रतिशत से कम अनुपात वाले बैंकों पर जताई नाराजगी

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Published By Pradumn Upadhyay
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अमृत विचार, लखनऊ । पिछले वर्ष 42.85 प्रतिशत की तुलना में इस वर्ष जिले का ऋण जमा अनुपात 47.77 प्रतिशत पहुंच गया है। कुल ऋण में इस साल 14.74 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है। शुक्रवार को कलेक्ट्रेट में जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार की अध्यक्षता में हुई बैंकर्स की जिला स्तरीय पुनरीक्षण/परामर्शदात्री समिति की त्रैमासिक बैठक में यह प्रगति सामने आई है। उन्होंने बैंक के अधिकारियों के साथ समीक्षा की। बताया गया कि एसीपी में प्रायर्टी सेक्टर, एमएसएमई व अन्य प्रायर्टी सेक्टर में कुल 18207 करोड़ के नए लोन स्वीकृत के लक्ष्य के सापेक्ष 52151 करोड़ के लोन स्वीकृत किए गए हैं। जो लक्ष्य का 286 प्रतिशत रहा है।

जिला वार्षिक ऋण योजना के अंतर्गत 14,600 करोड़ रुपये के ऋण वितरण का लक्ष्य समस्त बैंकों को आवंटित किया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि 600 गांवों में बैंकों द्वारा 10 -10 औद्योगिक इकाइयों की स्थापना करके अभूतपूर्व विकास में बैंकर्स को ग्रोथ-इंजन बनकर जिले के कायाकल्प में महत्पूर्ण योगदान दें। सभा के दौरान जिलाधिकारी ने वार्षिक 'जिला ऋण योजना: 2023-24' पुस्तक का विमोचन किया। बैठक में अपर जिलाधिकारी न्यायिक गरिमा स्वरुप, बैंक ऑफ इंडिया के आंचलिक प्रबंधक मनोज कुमार श्रीवास्तव, अग्रणी जिला प्रबंधक मनीष पाठक व अन्य रहे।

किसी पर नाराजगी तो किसी को सराहा

जिलाधिकारी ने 30 प्रतिशत से कम ऋण जमा अनुपात वाले बैंकों की प्रगति पर नाराजगी जताई और ऋण जमा अनुपात बैंक मानकों के अनुरूप 40 प्रतशित से अधिक करने के निर्देश दिए। इसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, फेडरल बैंक और करुर वैश्य बैंक पर नाराजगी जताते हुए सुधार के निर्देश दिए। वहीं, अच्छे ऋण जमा अनुपात पर बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ोदा, पंजाब एंड सिंड बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया व आईसीआईसीआई बैंक की प्रशंसा की। कहा, जिन बैंकों ने अच्छा काम किया उन्हें प्रशंशा पत्र और जो मानक के अनुरूप नहीं है उन्हें निंदा पत्र जारी किया जाए।

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