World Eye Donation Day : परिजन को कॉर्निया के लिए राजी करना आसान नहीं, कभी-कभी नेत्रदान का संकल्प रह जाता है अधूरा
अमृत विचार, अलीगढ़ । अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जेएन मेडिकल कॉलेज के आई बैंक का नवीनीकरण छह महीने से अटका पड़ा है। इससे कॉर्निया यानी नेत्रदान का भी काम अटका हुआ है, जिसका खामियाजा देहदान कर्तव्य संस्था को उठाना पड़ पर रहा है, क्योंकि संस्था को डॉ. सराफ आई बैंक वृंदावन से संपर्क करना पड़ता है।
नेत्रदान और देहदान के लिए जिले में कर्तव्य संस्था काम कर रही है। अब तक 31 मृतक का कॉर्निया (नेत्रदान) करा चुकी है। नेत्रदान के मामले में संस्था को दिक्कतें भी होती हैं, क्योंकि ज्यादातर परिजन नेत्रदान के लिए तैयार नहीं होते। संस्था के मीडिया कोआर्डिनेटर डॉ. डीके वर्मा ने बताया कि परिजनों को समझाना और उन्हें प्रेरित करना पड़ता है, जो कि बहोत मुश्किल काम होता है। डॉ. डीके वर्मा ने बताया कि लोगों का सोचना है कि नेत्रदान से आंखों की जगह पर गड्ढा हो जाता है, जबकि यह केवल भ्रांति होती है। डॉक्टर केवल नेत्रदान करने वाले व्यक्ति की आंखों से कॉर्निया निकालते हैं।
महानगर के सरोजनगर के चमन शर्मा का कहना है कि जब उन्होंने नेत्रदान के लिए संकल्प पत्र भरा, तब घर वालों ने गवाह के रूप में हस्ताक्षर करने से मना कर दिया और नाराज हो गए। बोले, तुम्हें नेत्रदान नहीं करना चाहिए। बड़ी मुश्किल से उन्होंने अपने बड़े भाई गजेंद्र शर्मा और दोस्त अनुराग शर्मा को गवाही के लिए मनाया, तब जाकर उनका नेत्रदान का संकल्प पूरा हो पाया।
नेत्रदान करने वाले का संकल्प पूरा ही होगा, यह जरूरी नहीं है। नेत्रदान करने वाले की मृत्यु के बाद उसके परिवार वालों को इसकी सूचना उस संस्था को देनी होती है, जहां उसने नेत्रदान का संकल्प किया है। सूचना न पहुंचने पर संस्था कॉर्निया निकालने नहीं पहुंच पाती और शव का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। बता दें छह साल में इस संस्था ने कुल 264 लोगों से नेत्रदान के संकल्प पत्र को भरा रखा है, जबकि 31 मृतक का नेत्रदान करा चुकी है। मेडिकल कॉलेज का आई बैंक छह महीने से कॉर्निया लेने से इन्कार कर रहा है, इससे दिक्कतें आ रही हैं।
-डॉ. डीके वर्मा, मीडिया कोआर्डिनेटर, देहदान कर्तव्य संस्था
कुछ तकनीकी दिक्कतों के चलते करीब छह महीने से आई बैंक का नवीनीकरण चिकित्सा शिक्षा विभाग लखनऊ से नहीं हो पाया है। कई बार नवीनीकरण के लिए पत्राचार भी किया जा चुका है। इसलिए आईबैंक में कॉर्निया नहीं लिया जा रहा है।
-प्रो. राकेश भार्गव, प्राचार्य, जेएन मेडिकल कॉलेज एएमयू
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