अल्मोड़ा: कोटेश्वर-शशीखाल पेयजल योजना ठप होने से संकट 

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Published By Bhupesh Kanaujia
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अल्मोड़ा, अमृत विचार। गर्मी की तपिश बढ़ते ही जिले में हर तरफ पानी का संकट गहरा गया है। पेयजल संकट के कारण कहीं टैंकर और कहीं डंपर से पानी बांटा जा रहा है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग प्राकृतिक जलस्रोतों से पानी ढोने के लिए मजबूर हैं। सल्ट विकास खंड के डेढ़ सौ से अधिक गांवों के लोगों की प्यास बुझाने वाली सबसे बड़ी शशिखाल-कोटेश्वर पेयजल योजना पांच दिनों से ठप है, लेकिन अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। 

जिले के लमगड़ा, बल्टा, कफड़खान, गुरुड़ाबांज, कसारदेवी, काफलीखान, डीनापानी आदि क्षेत्रों में लोग पानी के लिए जूझ रहे हैं। वहीं सल्ट के ब्लाक मुख्यालय मौलेखाल, शशिखाल, जालीखान, तहसील चौक, प्रेमनगर, मोहरखेत, सकरखोला, भ्याड़ी, कुन्हील, डहला, औलेत, पोखरी, नौपटुआ, बासो, वैला, देवायल, हिनौला, करगेत, थला, नदोली, रिक्वासी सहित डेढ़ सौ से अधिक गांवों की बीस हजार से अधिक की आबादी की प्यास बुझाने के लिए बनी शशिखाल-कोटेश्वर योजना छह दिनों से पूरी तरह ठप है।

बताया कि योजना के लिए बिजली आपूर्ति करने वाली 33 केवीए लाइन में छह दिन पूर्व खराबी आ गई थी, जिसे सुधारा नहीं जा सका है। सल्ट में सैकड़ों नल सूखे हैं और लोगों को गर्मी में भी पीने का पानी नहीं मिल रहा। लोग पानी की बूंद के लिए तरस गए हैं। लंबे समय बाद भी खराबी दूर न होने से लोगों में यूपीसीएल और जल निगम के खिलाफ खासा आक्रोश है। लोगों ने जल संस्थान और यूपीसीएल के अभियंताओं से समस्या सुलझाने की मांग की है।

इधर जिला मुख्यालय के आसपास के क्षेत्रों में भी लोग नौले धारों से पानी ढोने के लिए मजबूर हैं। न्यू इंदिरा कालोनी, जवाहर कालोनी, खत्याड़ी, कैनाल कालोनी के साथ ही एसएसजे हॉस्टल के विद्यार्थी सिमकनी मैदान स्थित धारे से अपनी जरूरत पूरी कर रहे हैं। एसएसजे हॉस्टल के विद्यार्थियों को रात के समय धारे से पानी ढोना पड़ रहा है। लेकिन पेयजल किल्लत को दूर करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है। 

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