Mann Ki baat : मन की बात में मोदी ने लुकतरा प्रधान के जल संरक्षण प्रयासों को सराहा
बांदा में पीएम ने कहा जल संरक्षण के उनके प्रयास से भूजल स्तर में हुआ सुधार।
बांदा में पीएम ने कहा जल संरक्षण के उनके प्रयास से भूजल स्तर में हुआ सुधार। मन की बात में मोदी ने लुकतरा प्रधान के जल संरक्षण प्रयासों को सराहा।
बांदा, अमृत विचार। भाजपा कार्यकर्ताओं ने पूरे उत्साह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात के 102वें संस्करण को सुना। उनके विचारों से प्रेरणा लेते हुए जल संरक्षण व प्रकृति संरक्षण को अपनाने का संकल्प लिया। उन्होंने अपने मन की बात के दौरान जनपद के ग्राम पंचायत लुकतरा के प्रधान तुलसीराम यादव द्वारा पानी बचाने के लिए किये गये काम की प्रशंसा की। कहा कि जल संरक्षण के लिए उनके द्वारा किए गये प्रयास से भूजल स्तर में सुधार हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के दौरान कच्छ के लोगों के हौसले और उनके जिजीविषा की प्रशंसा की और हाल ही में आये चक्रवात और 2001 के भूकंप के बाद जिले के विकास को लेकर उनके प्रयासों पर प्रकाश डाला। जिला मीडिया प्रभारी आनंद स्वरूप द्विवेदी ने बताया कि उन्होंने अपने मन की बात के दौरान जनपद के ग्राम पंचायत लुकतरा के प्रधान तुलसीराम यादव द्वारा पानी बचाने के लिए किये गये काम की प्रशंसा की।
कहा कि जल संरक्षण के लिए उनके द्वारा किए गये प्रयास से भूजल स्तर में सुधार हुआ है। उन्होंने 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने के लक्ष्य पर चर्चा की और निक्षय मित्र के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने आपातकाल के काले दिनों के बारे में भी बताया और याद दिलाया कि उस दौरान लोकतंत्र के समर्थकों को कैसे प्रताड़ित किया गया था। उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में भारत ने आपदा प्रबंधन की जो ताकत विकसित की है वह आज एक उदाहरण बन रही है।
पीएम ने लिया नाम, यही सबसे बड़ा ईनाम
पूर्व ब्लॉक एवं ग्राम प्रधान लुकतरा तुलसीराम यादव ने जैसे ही टीवी पर चल रहे मन की बात कार्यक्रम में जल संरक्षण को लेकर उनके द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुंह से सुनी तो गदगद हो गये। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने प्रयासों का ईनाम मिल गया। कहा जल संरक्षण का प्रयास सिर्फ शासन या किसी एक व्यक्ति के करने से नहीं होगा। हमें सामूहिक प्रयास करना होगा। ‘खेत का पानी खेत में’ ‘गांव का पानी गांव में’ नारा देकर उन्होंने बुंदेलखंड में जल संकट को देखते हुए उन्होंने अपने गांव में तीन साल के अंतराल में 40 से ज्यादा खेत-तालाब खुदवाये हैं। गांव में छह तालाब वीरा, कलार, ब्राह्मण, सूबा, बम्बुरिया और विजरदास सूखे पड़े थे, आज वे भी पानी से लबालब हैं। तालाब खुदाई में इस बात का विशेष ध्यान में रखा गया है कि ढलान ऐसी हो कि वर्षा के साथ ही गांव का पानी तालाब तक पहुंच जाये। इस काम के लिये उन्होंने गांव वालों को भी न सिर्फ प्रेरित किया बल्कि तालाब खुदाई में श्रमदान भी किया। उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि उनके गांव में भू-जल स्तर में तेजी से सुधर हो रहा है।
