मुसलमान पशुओं के अवशेष गड्ढे में करें दफन, खुले में न हो कुर्बानी: फरमान मियां

Amrit Vichar Network
Published By Vikas Babu
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बरेली, अमृत विचार। दरगाह आला हज़रत से जुड़ा संगठन जमात रज़ा-ए-मुस्तफ़ा के राष्ट्रीय महासचिव व क़ाज़ी-ए-हिंदुस्तान मुफ़्ती असजद रज़ा क़ादरी (असजद मियां) के दामाद फरमान हसन खान (फरमान मियां) ने कहा कि इस बार हिंदुस्तान में ईद-उल- अजहा का त्योहार देश भर में 29 जून गुरुवार को मनाया जाएगा। सुबह 6 बजे से 10 बजे तक ईद-उल-अज़हा की नमाज़ अदा की जाएगी। इसके बाद कुर्बानी का सिलसिला शुरू होगा।

कहा कि ईद-उल-अज़हा में मुसलमान तीन दिन अल्लाह की राह में कुर्बानी करते हैं। ये सिलसिला 29 जून को सूर्यादय से एक जुलाई को सूर्यास्त तक जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि कुर्बानी करना हर मालिके निसाब(शरई मालदार) मुसलमान पर वाजिब है। यह त्योहार पैगंबर हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम व पैंगबर हज़रत इस्माइल अलैहिस्सलाम की कुर्बानी के लिए याद किया जाता है।

उन्होंने सभी मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि कुर्बानी किसी बंद जगह में करें। खुली जगह या सार्वजनिक स्थान पर हरगिज़ न करें। जानवरों के अवशेष(जो इस्तेमाल में नही आता) उसे गड्ढे खोद कर ज़मीन में दफन कर दें। ख़्याल रखें कि खून नालियों में न बहे। न ही जानवरों की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर करें। अपने हम वतन भाइयों की भावनाओं का खास ख़्याल रखें।

कुर्बानी के लिए तीन दिन है खास
इस्लामी माह जिलहिज्जा की 10, 11, 12  तारीख कुर्बानी के लिए खास दिन है। कुर्बानी में भेड़, बकरा-बकरी, दुम्बा सिर्फ एक आदमी की तरफ से एक जानवर होना चाहिए और बड़े जानवर में सात लोग शिरकत कर सकते हैं। कुर्बानी के बाद उसके गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। शरीयत के अनुसार गोश्त का एक हिस्सा गरीबों में दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों और तीसरा हिस्सा अपने घर वालों के लिए रखने का हुक़्म है। 

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