महिला पहलवान यौन उत्पीड़न मामला: कोर्ट बृजभूषण के खिलाफ आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के संबंध में एक जुलाई को सुनाएगी आदेश
नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को कहा कि छह महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के निवर्तमान प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के संबंध में वह अपना आदेश एक जुलाई को सुनाएगी।
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अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने कहा कि यह एक "लंबा आरोपपत्र" है और उन्होंने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। उन्होंने कहा, ‘‘नया आरोपपत्र दायर किया गया है। चूंकि यह एक लंबा आरोपपत्र है, इसलिए इस पर कुछ दिन विचार करने दिया जाए।’’ कार्यवाही के दौरान, उन्होंने पहलवानों की ओर से पहले दायर एक आवेदन को "निरर्थक" बताते हुए खारिज कर दिया।
आवेदन में, अदालत की निगरानी में जांच का अनुरोध किया गया था। अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में आरोप पत्र पहले ही दाखिल हो चुका है, इसलिए यह आवेदन निरर्थक हो गया है। आरोपपत्र में भारतीय कुश्ती महासंघ के निलंबित सहायक सचिव विनोद तोमर का भी नाम है। तोमर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप हैं।
वर्तमान मामले के अलावा, सिंह के खिलाफ एक अन्य प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी जो एक नाबालिग पहलवान द्वारा लगाए गए आरोपों पर आधारित है। यह प्राथमिकी यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत दर्ज की गई थी। वह उन सात महिला पहलवानों में एक हैं जिन्होंने सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
दोनों प्राथमिकी में, एक दशक के दौरान अलग-अलग समय और स्थानों पर सिंह द्वारा अनुचित तरीके से छूने, पीछा करने और डराने जैसी यौन उत्पीड़न की कई कथित घटनाओं का जिक्र किया गया है।
नाबालिग से जुड़े मामले में, दिल्ली पुलिस ने 15 जून को अंतिम रिपोर्ट पेश की थी जिसमें सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप के संबंध में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया था। पॉक्सो अदालत संभवतः चार जुलाई को अंतिम रिपोर्ट पर विचार करेगी।
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