बरेली: बेटे के लिए 52 पार की उम्र में बनाया मां, बेटी हुई तो बोला- घर मत आना
इकलौते बेटे की हादसे में मौत के बाद पति की जिद पूरी कर दोहरी त्रासदी में फंसी महिला, प्रसव के बाद हालत भी गंभीर
अंकित चौहान, बरेली। बेटे की चाहत इस कदर पति के सिर पर सवार हुई कि तीन बेटियां होने के बाद भी 52 पार की उम्र में पत्नी को फिर मां बनना पड़ा, लेकिन बेटे की इच्छा फिर भी पूरी नहीं हो पाई। चौथी संतान भी बेटी होने पर पति आपा खो बैठा। बच्ची को जन्म देने के बाद अत्यधिक ब्लीडिंग से पत्नी की हालत नाजुक होने के बावजूद पति ने उसे दोष देते हुए महिला अस्पताल में ही हंगामा शुरू कर दिया। अपशब्द कहते हुए यह धमकी भी दे डाली कि अगर वह बेटी को लेकर घर आई तो वह उसे जान से मार देगा। दोहरी त्रासदी से जूझ रही महिला को अस्पताल से हायर सेंटर रेफर किया गया है।
संवेदनाओं को झकझोरने वाला यह मामला जिला महिला अस्पताल में चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां 26 जून को एक बेटी को जन्म देने वाली शहर के आसपुर गौंटिया में रहने वाली महिला के मुताबिक उनके चार बच्चे थे जिनमें तीन बेटियां हैं। कुछ साल इकलौते बेटे की एक सड़क एक्सीडेंट में मौत हो गई तो उनके पति बुरी तरह अवसादग्रस्त हो गए। उन्होंने उनसे बेटे की जिद शुरू कर दी। उन्होंने अपनी उम्र का हवाला देकर काफी इन्कार किया लेकिन पति जब-जब रोज एक ही बात कहने लगे तो इसके लिए तैयार हो गईं। गर्भवती हुईं और 26 जून को जिला महिला अस्पताल में उनका प्रसव हुआ लेकिन चौथी संतान भी बेटी हुई।
पति को जब पता चला कि एक और बेटी हो गई है तो वह बुरी तरह उखड़ गया। अस्पताल में ही उसने चीखते-चिल्लाते हुए पत्नी को अपशब्द कहने शुरू कर दिए। अस्पताल स्टाफ ने काफी समझाने की कोशिश की लेकिन फिर भी हंगामा करता रहा। पत्नी को धमकी दे डाली कि बेटी को लेकर घर आई तो जान से मार देगा और फिर उसकी हालत गंभीर होने के बावजूद उसे वहीं छोड़कर चला गया।
प्रसव होने से पहले बैठा रहा लेबर रूम के बाहर, बार-बार पूछता रहा पत्नी का हाल
जिला महिला अस्पताल की इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर डॉ. वर्षा अग्रवाल ने बताया कि महिला एल्डर्ली श्रेणी (ज्यादा उम्र) में थी। इस कारण अतिरिक्त एहतियात बरती गई।
उसकी जांच के बाद स्टाफ नर्स अनुपमा, अंजना और रंजिता की मदद से उसका सामान्य प्रसव कराया। महिला का पति प्रसव होने से काफी देर पहले से लेबर रूम के बाहर बैठा हुआ था और बार-बार पत्नी का हाल पूछ रहा था लेकिन प्रसव के बाद जैसे ही उसे बेटी पैदा होने की सूचना दी गई तो वह भड़क गया। पहले बोला- बेटी हो ही नहीं सकती, फिर पत्नी को अपशब्द कहने लगा।
आशा और निराशा के बीच झूलता रहा दंपती
पहले तो पति-पत्नी ने इकलौता बेटा गंवाया और बेटा पैदा करने की एक आस भी मन में जगा दी। रजोनिवृत्ति यानी मेनोपॉज हो जाने के कारण आमतौर पर 50 पार की महिलाएं बच्चा पैदा नहीं कर पातीं लेकिन कुदरत ने उन्हें इसका भी मौका देकर नई उम्मीद पैदा की लेकिन अंत में फिर मायूसी ही उनके हाथ लगी।
मेनोपॉज की अधिकतम उम्र 47 मानी जाती है, इसलिए 52 पार की उम्र में बच्चे को जन्म देना दुर्लभ किस्म का केस है, ऐसा बहुत कम मामलों में होता है। हालांकि मासिक चक्र में बदलाव हो ही रहे हैं। आजकर 10 साल की बच्चियों को भी पीरियड्स शुरू हो जाते हैं--- डॉ. मृदुला शर्मा, वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ।
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